*** घुटन ***
कुछ लफ्ज़,कुछ वाक्य, कुछ कहानियां है मेंरी भी।
एक भी पूरी नही, सारी की सारी अधूरी सी।।
बयां करू तो किसे करू, जबरन बाते किससे करूं।
आगे चलूं या पीछे चलूं, जीता जाऊ या अभी मरू।।
लड़ा तेरे लिए सबसे, और तू ही दूर हो गई,
न दोस्ती न दोस्त, आत्मा भी अब चूर हो गई ।।
जिम्मेदारियो से डर रोने में न आएगी कभी शरम,
देख मां ये तेरा बेटा अभी नही बन पा रहा है निडर।।
फुलझड़िया झरने लगी है कमियां दोस्तो की अब खलने लगी है,
कई दिनों से बंद इस अकेलेपन मे भी घुटन अब होने लगी है।।
–अमर। (31/12/23)
-