भावनांचं गाठोडं उराशी बाळगून
बघितला जग जरासं थांबून...
तोच किनारा मनास वेधणारा
हाक भावनेची स्पंदन जागवणारा...
उत्स्पुर्त ती वार्ता आगमनाची
देते सदैव जगण्याची ग्वाही
होय, तीच भावना आपल्या मनातली...
(In hindi➡ Read caption)-
आंसू ही है जो जीवन भर हमारे साथ रहते है
दुख हो या सुख भावनाओं के रूप में बहते है
कभी सोचा न था इन आँखों से निकले
आंसू एक दिन व्यर्थ हो जाएंगे
अब तो यूँ लगने लगा है
की दिल तड़पता है
तो आंसू निकल
ही जाते है
हर दुख सह जाऊंगी पर आँसुओं को कैसे समझाऊंगी
लोग पढ़ लेते है मेरे आंसुओ से मेरा दर्द ना चाहते
हुए भी बयान कर जाते है मेरी मुहब्बत
की दास्तां जहां बहाये थे कभी
मैंने अपने बेशुमार
आंसू.....
कल तक इन आँखों से आंसू न गिरने दिया था
तुमने आज उन्ही आंसुओं से सौदा करने
चले ना जाने कहाँ से लाते हो तुम
इतनी नफरत की तुमने खून के
आंसुओं को भी पैसों में
तोल दिया...-
कविताएं वे शिशु रही
जिनका जन्म भावनाओं के गर्भ से हुआ
अन्यथा
संसार का कोई भी पुरुष कवि नहीं होता-
अभाव ही भावों में
गहनता को जन्म देते हैं,
एहसास कराते हैं
'नहीं होकर' कि
'होना' कैसा होता होगा!
इसीलिए...
प्रेम में वियोग से
उत्तम कुछ भी नहीं!-
शीर्षक -- ।। सुख मूल मंत्र ।।
जीवन मनुष्य से कुछ न कुछ इच्छा जागृत करती ही रहती है।
यदि मनुष्य उसका यह इच्छा पूरी नही कर पाता तो,यह मनुष्य
के लिए आधी अधूरी भावना बन जाती है और इसे एक समस्या
के रूप में ले लेता है । तो देखें तो इच्छा ही हमारी सबसे बड़ी
दुश्मन है । हमे इच्छाओं के वश में नही आनी चाहिए ।।-
चाय भावनाओ का समंदर है ,
जिसमे हम सुख हो या दुःख हो,
हर वक्त ही डुबकी लगाते है और तृप्त हो जाते है ।-