प्रेम तेरा रग-रग में बहे
हर दिल का तू अभिमान है
कायम रहे तू अनंत काल
तेरा नाम ही मेरी पहचान है
वादियों में झूमता सावन
अब अखण्ड तेरी तस्वीर है
चमक उठी लालिमा ललाट की
कि तिरंगे में रंगा कश्मीर है
दे आशीष तेरी छाया बनूं
रंगों में तेरे ना कोई भेद रहे
केसरिया तिलक हो धानी चुनर
मन मेरा सदा ही श्वेत रहे
तेरे आँचल ने सींचा बचपन
तेरी खुशबू में मेरी जवानी पले
सौगात है तेरी माँ साँसें ये मेरी
कि जब निकले तेरी बाहों में ही दम निकले-
एक दो तीन,
चिबिल्ला है चीन,
चार, पांच, छः,
परेशानी की वजह,
सात, आठ, नौ,
इंतज़ार क्यों?
दस, ग्यारह, बारह,
चढ़ गया पारा.!
तेरह, चौदह, पंद्रह,
करो सीधा हमला !
सोलह, सत्रह, अठारह,
देश हमको प्यारा,
उन्नीस, बीस, इक्कीस,
भारत पड़ेगा बीस..!
सिद्धार्थ मिश्र-
गर प्यार है 'हिंदी' से तो 'देवनागरी' से क्यूँ है परहेज?
हिंदी भी 'रोमन' में लिखते हैं , मेरे भारत के अंग्रेज !
-
शहीदों के लहू की स्याही से, ये संविधान बना है
हर दिन संभाल के रखो, मेरा देश महान बना है।-
तिरंगे के साथ हम निकल पडे आज हिंदुस्थान की आज़ादी के लिये,
दुश्मनो को खत्म कर के हम चले इस देश का भ्रष्टचार मिटाने के लिये,
तिरंगा लेकर हम साथ चल पडे आज़ाद हिंदुस्थान का नारा लगाने,
दुश्मानो को हमने घसीटकर निकाला इस जहाँ के मान के लिये,
तिरंगे के साथ हम निकल पडे डिजिटल इंडिया को नया देश बनाने के लिय,
साक्षर भारत हमारा सपना था हम निकले भारत को मुक्त करने,
तिरंगे के साथ हम निकल पडे इस देश पर होने वाले अत्याचार मिटाने के लिए,
कभी सोचा नही था यारो इस मिट्टी में हम लगायेंगे देश के नारे,
तिरंगे के साथ हम निकल पडे भारत का नाम रौशन करने,
कभी मत भुलना यारो इस देश के जवानो के बलिदान को.-
पथ संघर्ष के फिर चलेंगे हम
तरक्की की,, नई गाथा लिखेंगे हम
क्या हुआ आई जो बैरन आँधी
रख हौंसला उठ फिर खड़े होंगे हम
थम गया था जो वक्त का पहिया
नई ऊर्जा से, फिर उसे घुमाएँगे हम
उदय हुई उम्मीद की नई किरण
अब तनिक भी,सुस्ती ना रखेंगे हम
है भारत हमारा ये जान से प्यारा
इसे,,,सोने की चिड़िया बनाएंगे हम-
चरागदान कोई गर्द से...ढका पड़ा है...
बहुत दिनों से उस बुढ़िया ने...कोई चराग नहीं जलाया...
सुना है उसका बेटा... फ़ौज में था...👮
सरहद पर गया था...लौटकर नहीं आया...😢-
देश जिसके हाथ सँवरता है,
वही मजबूर मरता फिरता है।
मेरा भारत पल-पल मरता है।
मेरा भारत पल-पल मरता है।
मेरा सपनों में खो जाना
मखमल बिस्तर में सो जाना
मुझे आज बहुत अखरता है।
मेरा भारत पल-पल मरता है।
मेरा खा लेना बढि़या खाना
उनका भूखे ही सो जाना
गले ग्रास नहीं उतरता है।
मेरा भारत पल-पल मरता है।
उनका सड़कों पर पड़ जाना
लावारिस लाशें बढ़ जाना
बैचेनी दिल में भरता है।
मेरा भारत पल-पल मरता है।-
उड़ जाती है नींद में सोचकर
कि सरहद पे दी गई वो कुर्बानियां
मेरी नींद के लिए थी
इंकलाब जिंदाबाद-