Shivani   (Spiti)
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Joined 27 June 2018


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Joined 27 June 2018
2 JUN 2021 AT 23:59

गुलाबी सी धूप, किसी बरखा के बाद
दिन दिलकशी पर रातें उदास.....!

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28 OCT 2020 AT 21:11

गाँठें पड़ी हैं इस कदर इस रिश्ते की डोर में
रेशम का धागा भी मानो खुरदरा हो चला है

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22 OCT 2020 AT 1:50

बेशक ये ज़िन्दगी ही है
गर रात होती तो सवेरा भी होता..!!

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15 SEP 2020 AT 6:30

हर रात रोता है, ढूंढता है दिल वो पतंग
उड़ती हो कोई जो बहुत दूर हक़ीक़त से

सूखता है तकिया, सूखते ओस के संग-संग
होती है सुबह फ़िर उसी मुस्कुराती ज़ीनत से

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5 AUG 2020 AT 0:09

क्यों बिलखती रहें बेटियाँ ही भाई न होने पर
राखी वो भी तो नहीं मनाते जिनकी बहन नहीं है..!

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24 JUL 2020 AT 20:30

दो नैन मेरे, दो रैन तेरे...बेख़ुद इक डोर में बंधे पड़े
स्याह रैन तेरे, स्याह नैन मेरे...बिन चाँद भी नूर से सजे रहे

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13 JUL 2020 AT 12:28

मुमकिन कहाँ कि हर घड़ी आँसू बहाए कोई
यही सोच ख़ुदा ने कागज़-कलम बनाए होंगें

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13 JUL 2020 AT 8:42

शमशान है दिल मेरा, मेरी ही ज़िन्दगी का
राज़ बन दफ़न है, सब घाव ज़िन्दगी के..!!

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16 MAY 2020 AT 22:54

ये तो उम्र है जिसे बरसों का तकादा है
परिपक्वता तो चंद घंटों में भी दस्तक दे जाती है

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18 APR 2020 AT 0:15

तोहफ़े तो सारे लौटा आए उसके
तकिये तले कुछ ख़त दबे रह गए

फ़ोन की गैलरी से मिटा दिया उसको
बटुए में इक तस्वीर पड़ी रह गई

धुंधली कर दी यादें सब उसकी
ख़्वाबों में परछाई गहरी रह गई

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