पूरी एक उम्र लगती है मियाँ
किसी से बे-हद, बे-पनाह, बे-ग़रज़
शिद्दत भरी मोहब्बत होने में
और तुम कहते हो
मोहब्बत तो बस यूँ ही
एक नज़र में ही हो जाती है
- साकेत गर्ग 'सागा'-
गलती चाहे जिसकी हो
रूठ जाने के बाद
पहले मनाता वही हैं
जो बेपनाह मोहब्बत करता हैं-
नफ़रत बेपनाह थी मेरी आंखों में उसके लिए
पर उसकी आंखों में देखा तो ये दिल फिर कायल हो गया
जानती थी शोहरत के पीछे है, वो कमज़र्फ है
पर उसके झूठे वादों को सुन ये दिल फिर घायल हो गया.....-
यादें ख्वाबों की चादर में लिपटी रही
औऱ इश्क वादों की घुटन में मर गया-
यूं न बेपनाह, इश्क़ हम से कर बैठना,
क्योंकि......!
डर लगता है हमें, कहीं ये रह न जाए, बस एक सपना।।-
किसी उम्र की मोहताज नही है मोहब्बत हमारी
तब भी बेपनाह थी अब भी बेहिसाब है-
फिक्र न तुम इतनी, करना हमारी कि......!
तुम्हें हमसे एक दिन ,बेपनाह मोहब्बत़ हो जाए ।
हम भी दिल, तुम पर हार जाऐं,
और यही, हमारी जीने की, मुसीबत बन जाऐ।।-
खुदा! "सुन" मेरी भी, अब
तू ज़रा मजबूरियां कर दे!
"मुक़म्मल" इश्क़ ना हो तो,
मुक़म्मल "दूरियाँ" कर दे।-
बे-पनाह मोहबत्त और बिना मतलब के
किसी चीज से नहीं होती मेमसाब
तस्वीर बदल जाती है तकदीर बदल जाती है
दीदार के इन्तजार में।-
जो भी मिला है इश्क़ में मुझे, बे-पनाह मिला है
बस एक साथ है उनका, जो बहुत कम मिला है
- साकेत गर्ग 'सागा'-