आज फिर बादल छाया है,
संग घटाए लाया है,
बिनमौसम बरसने आया है,
गर्मी में ठंडी फुहार लाया है।-
सुना है तुम्हारे शहर में हवाएं भी
ख़ामोश रहती हैं
तुम छत पर तो जाया करो बारिशें
भी आया करेंगी❤-
सुनो,
होती नहीं बारिश अब मेरे शहर में,
तुमने शहर आना छोड़ दिया क्या?-
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बैठो तुम कभी पास हम अपनी तकलीफ़ बताएंगे
तुम गौर से सब सुनना
हम खामोशी से सब समझाएंगे।।✍️
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गलतियां हुई, सामने साजिशें नही आई
खूब गरजे बादल मगर बारिशें नही आई,
फकत एक अच्छी बात रही मोहब्बत मे
वो मुझसे मिलने कभी देरी से नही आई।-
एक दिन इन बारिशों
की तरह अनायास,
अचानक ही
तुम लौट आओगे,
जैसे ये बारिश की बूंदें
स्पर्श कर रही है
मेरे चेहरे को
वैसे ही तुम स्पर्श
करोगे मेरे मन को,
झंकृत कर दोगे मन
का हर कोना ,
किसी सितार की
तरह, और
खिल उठुंगी मैं किसी
स्वर्णिम पुष्प
की भाँति...!!!
-©साहिबा✍🏻-
बहुत तकलीफ होती है कि मैं रोज याद आता हूँ
यार तुम जाओ आज मैं सबकुछ भूल जाता हूँ
यादों के मंजर से निकलो तुम सब छोड़ छाड़कर
अब जला कर यादों को मैं सबकुछ भूल जाता हूँ
एक वादा और दी थी जो तुमने वो सारी कसमें
कुछ मेरे अहसास आज मैं सबकुछ भूल जाता हूँ
तुम मेरे पलकों के आंगन में घर घर खेली हो तो
वो साथ वो बात आज मैं सबकुछ भुल जाता हूँ
मैं इंसान हूँ तो लिखा किस्मत का कैसे मिटाऊँ
यार तुम जाओ आज मैं सबकुछ भूल जाता हूँ
अगर कुछ रह गया तुम्हारा तो बाद में लौटा दूँगा
कपिल तुम जाओ आज मैं सबकुछ भूल जाता हूँ-