"शशशश... लड़कों से कहो मुझ जैसे बनें!"
(कविता अनुशीर्षक में)
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एक औरत ने अपनी जिंदगी में
बराबरी की उम्मीद कभी नहीं की
हां! हमने बातें जरूर की है,
पर उम्मीद कभी नहीं की
पर इज्ज़त की,
इज्जत की हमेशा की है....
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जलो मत,राख बन जाओगे
हम आगे हैं,तुम भी निकलने की सोंचो
वर्ना पीछे रह गये,तो बरबाद हो जाओगे-
लिंग परीक्षण से बच निकली, चालबाज़ है
दूध ख़ातिर, खून से उपेक्षित, खुद से नाराज़ है
शिक्षा गरीब के पेट सी, न भरना मिज़ाज है
मनपसंद जीवन संगी की चाहत, बे आवाज़ है
‘साड़ी’ का ‘सूट’ पहनना, इज़्ज़त पर गाज है
घूँघट गर बे पर्दा समझो, किरदार नासाज़ है
क़ाबलियत- नौकरी, इजाज़त की मोहताज है
यूँ निर्भरता ही तो, नियंत्रण में रखने का राज है
अपनी मर्ज़ी दहलीज़ लांघना, टाइटैनिक जहाज़ है
घर परिवार की ज़रूरत पर भटकना, नेक काज है
बच्चे बने तो उनके, बिगडे, तेरे मथे के ताज है
वस्तु सी भोगी जाती युवती, त्यागी उम्रदराज़ है
महिला उदारीकरण से अभी सदियों दूर, समाज है
सुना है ‘महवश’, हैप्पी विमन्स डे, आज है?-
बराबरी की बात होती
बेशक़ आगे निकल जाता
शुक्र मनाओ
भागीदारी की बात थी...
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तुम्हें दिये गये मौके को अपनी तकदीर मत समझो
खैरात में मिले हक को अपनी जागीर मत समझो
जिन्हें शेर के मुंह में हाथ डालकर दांत गिनना आता है
खैरात बांटने वालों को अधिकार छीनना आता है
उत्पात मचा कर रखे हो और बढ़ी हुई जो हिम्मत है
हक अपना खोकर चुप हैं जो समझो यही गनीमत है
छींटों भर औकात नहीं जो बादल बनकर बरसोगे
रोटी के लाले पड़ जाएंगे खाने को भी तरसोगे
फेंकी हुई जूठी पत्तल को कब तक ऐसे चाटोगे
आरक्षण के नाम पर बोलो कब तक देश को बांटोगे
गर ऊंचा ओहदा चाहते हो तो मेहनत करो पढ़ना सीखो
गर बराबरी में रहना है तो बराबरी में लड़ना सीखो।
©उन्मुक्त-
माशाअल्लाह💖
इस कदर कद ऊँचा है उनका के
बराबरी में खड़े होकर चाँद निहारते हैं...💕shree-
मेरे हिस्से में तू बस
मेरी बुराई भरता है साकी
आह !
तेरा ये गम भी मैंने समझा है यारा
कि "तेरे हिस्से में मेरी बराबरी न आई "
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