बैठ ओसारे बूढ़ी दादी बिसूरती जाए होकर मौन
दूर शहर में कैद है हामिद आखिर ईद मनाए कौन-
मुझ जैसा मनमस्त गगन में और कहाँ ?
सबसे अलहदा है मेरा रास... read more
जटा-जूट, रूद्राक्ष, बाघम्बर,भस्म-भभूति अंग
भूत-प्रेत,पिशाच सकल अनुचर जिसके संग
किया हलाहल विष धारण, कहलाएं नीलग्रीव
संरक्षक संहारक भी वो, महाकाल महाशिव-
सूरज की नव रश्मियाँ लाएं नया विहान
रचें सफलता के नए सभी उच्च प्रतिमान
जग की व्याधि दूर हो बचा रहे बस हर्ष
हृदय की है यह कामना मंगल हो नववर्ष.-
वायदा करके उम्र भर तक का
बीच में साथ छोड़ने वाले
इश्क़ कब तक भला निभाएंगे
शाख से फूल तोड़ने वाले-
नदियां और बेटियां
मुझे एक दूसरे की पर्यायवाची
लगती हैं।
(पूरी कविता कैप्शन में पढ़ें)-
वो मुझे शायर कलमकार या फनकार बोलेंगे
मैं अगर मर भी जाऊं तो मेरे अशआर बोलेंगे
मेरे सच बोलने की आदतों से बन गए दुश्मन
दबी बोली में वे सब लोग मुझको यार बोलेंगे
(राहत इंदौरी जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि)-
फ़रेबों से भरी दुनिया में ये शफ़्फ़ाफ़ सी आंखें
सदाक़त के बचे रह जाने की तस्दीक़ करती हैं-
जब मैंने प्रेम करना सीखा
मैंने कविताओं का हाथ थामा
अब कविताओं को हाथ में
थामे हुए लगता है मैंने
थाम रखा है
तुम्हारा हाथ
अपनी हथेलियों के बीच
अब मैं तुम्हारे साथ-साथ
कविताओं के प्रेम में हूं।-
जमीन पर गिर पड़ने
और गायब हो जाने से पहले
जिस थोड़ी सी उम्मीद से
पत्तों पर ठहरती है
ओस की बूंद
ठीक उतनी ही
उम्मीद काफी है
जीवित रखने के लिए
हमारे तुम्हारे बीच के
इस प्रेम को ।-