सूरज की नव रश्मियाँ लाएं नया विहान
रचें सफलता के नए सभी उच्च प्रतिमान
जग की व्याधि दूर हो बचा रहे बस हर्ष
हृदय की है यह कामना मंगल हो नववर्ष.-
मुझ जैसा मनमस्त गगन में और कहाँ ?
सबसे अलहदा है मेरा रास... read more
वायदा करके उम्र भर तक का
बीच में साथ छोड़ने वाले
इश्क़ कब तक भला निभाएंगे
शाख से फूल तोड़ने वाले-
नदियां और बेटियां
मुझे एक दूसरे की पर्यायवाची
लगती हैं।
(पूरी कविता कैप्शन में पढ़ें)-
वो मुझे शायर कलमकार या फनकार बोलेंगे
मैं अगर मर भी जाऊं तो मेरे अशआर बोलेंगे
मेरे सच बोलने की आदतों से बन गए दुश्मन
दबी बोली में वे सब लोग मुझको यार बोलेंगे
(राहत इंदौरी जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि)-
फ़रेबों से भरी दुनिया में ये शफ़्फ़ाफ़ सी आंखें
सदाक़त के बचे रह जाने की तस्दीक़ करती हैं-
जब मैंने प्रेम करना सीखा
मैंने कविताओं का हाथ थामा
अब कविताओं को हाथ में
थामे हुए लगता है मैंने
थाम रखा है
तुम्हारा हाथ
अपनी हथेलियों के बीच
अब मैं तुम्हारे साथ-साथ
कविताओं के प्रेम में हूं।-
जमीन पर गिर पड़ने
और गायब हो जाने से पहले
जिस थोड़ी सी उम्मीद से
पत्तों पर ठहरती है
ओस की बूंद
ठीक उतनी ही
उम्मीद काफी है
जीवित रखने के लिए
हमारे तुम्हारे बीच के
इस प्रेम को ।-
उस पौधे का वृक्ष बन जाना
बढ़ा देगी संभावना
इस पृथ्वी के कुछ और अधिक
दिन बचे रह जाने की
जिसके साथ ही बढ़ जाएगी उम्र
उस प्रेम की भी
बहुत जरूरी है
बचाकर रखा जाए प्रेम
और लगाए जाएं पौधे
इस दुनिया को बचाए रखने के लिए।-
कविताएं
किसी की पीड़ा नहीं हरती
दुःख का अंत भी नहीं करती
ना ही करती हैं समाधान
मनुष्य की समस्याओं का
परन्तु यही कविताएं
प्रदान करतीं हैं मनुष्य को
एक सुरक्षित और शांत स्थान
जहां कुछ समय के लिए
मनुष्य भूल सके
अपनी समस्याओं से उपजे दुःख
और उसकी पीड़ा, कर सके
पश्चाताप अपनी गलतियों पर
मजबूत कर सके अपनी इच्छाशक्ति
तकि एक बार फिर से खड़ा हो
भिड़ सके अपनी समस्याओं से
कर सके अपने दुखों का अंत और
स्वयं ही हर सके
अपनी पीड़ा।-