तुमको पाने से पहले
डर खोने का लगता था
जिससे ज्यादा मोहबब्त हो
वो बयां ही नही होती-
एहसास
जन्मते ही हैं
बयां होने के लिए
या तो नज़रों से...
या अश्कों से...
या जुबां से...
या फिर कलम से...
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किन लफ़्ज़ों में बयां करुँ
शरीर के इन ज़ख्म को,,
जब की ये ज़ख्म ही
सब कुछ बयां करते है..-
लिख के कुछ हलका मेहसूस करता हूँ खुदको,
वरना आसान नही होता अहेसासों को शब्दों में बयाँ करना..-
आँसुओ की कीमत तुम पलकों से क्यू नहीं पूछते ,
जो बिछङ के भी दर्द बयां नहीं कर पाते हैं ।-
मोहब्बत उनकी, अब पन्नों में ही रह गई है......,
इज़हार करने के वजाए, वे लिख कर,
अपने दिल का हाल बयां करते है।।-
हम ढूंढते रहे जिनको सारे ज़माने में,
वो थे हमारे हर लफ्ज़ और फसाने में,
वक्त था बहुत दिल की बयां करने का,
गुजार दी, एक दूसरे को आज़माने में !-
हर दिन कुछ मैं नया सीखता हूँ ,
कभी क्रूरता तो कभी दया सीखता हूँ।
हर दिन...✍
कभी नफरत कभी मया सीखता हूँ ,
कभी खामोशी तो कभी बयां सीखता हूँ।
हर दिन...✍
कभी बेहया तो कभी हया सीखता हूँ,
हर दिन कुछ मैं नया सीखता हूँ।
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💐💐Part:३ उसका जनाजा 💐💐
मैं जब भी उठा मुझे उसकी याद आयी
हरबार की तरह आज भी उसकी याद आयी
मगर अब किसे बया करे ,हम अपने दिल का दर्द,
कल गई वो डोली में,और आज अर्थी के साथ आए है-
चलो अब जाने भी दो यार क्या करोगे दास्तान सुनकर
खामोशी तुम समझोगी नहीं और बयां हमसे होगा नहीं-