बंदी में कुछ न होना है
डर लगता है 'कोरोना' है
नफरत का ज़हर जो बोते है
उनसे 'आगाह' भी होना है
सब 'साथ' सफाई करते रहो
मैला जो 'मन' का कोना है
खुशियां महंगी दिन 'चार' की ये
हर 'दाग' को रोकर धोना है
'मैं' को मेरी परवाह है बस
ये जादू या कोई टोना है
कर जो बैठे 'अधिकार' समझ
समझौते 'चार' का रोना है
है अंत सभी का 'एक' यहाँ
जो 'निश्चित' है वो होना है-
जब से क़रीब हो के चले ज़िंदगी से हम
ख़ुद अपने आइने को लगे अजनबी से हम
कुछ दूर चल के रास्ते सब एक से लगे
मिलने गए किसी से मिल आए किसी से हम
अच्छे बुरे के फ़र्क़ ने बस्ती उजाड़ दी
मजबूर हो के मिलने लगे हर किसी से हम
शाइस्ता महफ़िलों की फ़ज़ाओं में ज़हर था
ज़िंदा बचे हैं ज़ेहन की आवारगी से हम
अच्छी भली थी दुनिया गुज़ारे के वास्ते
उलझे हुए हैं अपनी ही ख़ुद-आगही से हम
जंगल में दूर तक कोई दुश्मन न कोई दोस्त
मानूस हो चले हैं मगर सिवान से हम ।
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खुले आसमान में
बंदी सा खड़ा
अकेला चाँद
तारों की पहरेदारी में।
छिपना चाहता
बादलों की ओट में
या भाग जाना चाहता
किसी बादल का चोला ओढ़कर।
जितना भी भागे
पर मिलता नहीं सिरा
इस खुले आसमान का।
और फिर जकड़ लेती हैं उसे
सूरज की किरणें।
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मुलाकात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी
मैं अपने बंदी से बोलूं ये एक्स है मेरी-
मैं हूँ एक पशु दुर्दांत मगर स्वतन्त्र हूँ,
लाचार इक इंसान बंदी है भीतर मेरे।-
ग़ैरत मंदी, हँसी, मस्तमौला फितरत की महंगी किस्तें
उसके दिल में रहने से अच्छा तो हम दर बदर ही रहते!-
देख मेरा लुक थोड़ा रफ़ टफ मगर
मैं हूँ दिल का साफ़ ना हीं मुझमें
आदत कोई गन्दी
प्रिये ।।
मैं ठहरा शुद्ध हिंदी मीडियम वाला
लड़का और तू ठहरी इंग्लिश
मीडियम वाली बंदी
प्रिये।।
अरे चाहत तुझको भी है तभी
तो छुप-छुप कर तू
देखती है
मुझे....
माना तेरी मासूमियत का असर मुझमें
गहरा है मगर मेरे दिल का चोर
तो है तेरे माथे की बिंदी
प्रिये।।-
🤗*"मुलाकात का कुछ ऐसा असर हो,
की मै एक्स भी थी और नेक्स्ट भी तेरी...😉🙌-
बेवफा नहीं थी वो,किसी और की हो गई ,खैर कोई बात नहीं।
*बीबी किसी की बनी लेकिन बंदी तो हमारी थी ना*🤓-
"पर देह के काट देने से
मैं तेरी बंदी न हो जाऊंगी"
कहकर उड़ चली मेरी आत्मा।
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