बंजारे हैं हम..
एक तेरे सिवा..
ना ही कोई ख्वाहिश है..
"और" ना ही किसी और से दिल लगाने की गुंजाइश..!!-
दिमाग में चल रहा नृत्य विचारों का
दिल भटक रहा यहाँ बंजारों सा-
बेनाम रहूँ कब तक,क्यूँ हर किसी को मना करना,
छुपमछिपाई छोड़ दूँ, समा लूँ खुद को कहीँ किसी में कुछ तो चैन होगा!!-
बंजा़रा दिल ये मेरा, अब....!
इस बंजा़रे दिल के काफिले को, कहां लेके जाऐं?
ये दिल तो, तुम पे ही आकर ,ठहर जाता है,
बस इज़ाज़त तो दे, तेरे दिल में बस जाऐं।।-
जब तक जरूरत थी काम में लिया और भगा दिया
ऐ-मौला मैं और किस-किस मालिका का बंजारा रहूँगा-
ना दोस्ती करने लायक हूँ
ना प्यार करने लायक हूँ
बंजारा एक फ़कीर हूँ
'आगे बढ़ो बाबा' कहकर
मैं आगे बढ़ाने लायक हूँ
- साकेत गर्ग-
आशिक़ी का सिलसिला कुछ ऐसा चल रहा।
कहीं आशिक़ तो कहीं बंजारा दिख रहा।।-
राह में फिरता है आवारा
इंसान दुखों से हरदम हारा
दिल की गलियों में घूम रहा है
बनके इश्क़ मोहब्बत में बंजारा
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कब तक मिलूँ तुझसे यूँ मैं चोरी चोरी
तुझसे ही तुझको चुरा लूँ तो अच्छा होगा-