समजौता कर लिया मैंने अपने दिल से ,
फूलो संग बातें करनी है और पत्थरों संग चुप रहना है ।-
फूलों की भी अपनी किस्मत हैं,
कोई प्रभु के चरणों मे होता है,
कोई गले का हार बनता है ,
और कोई मजार पर,
तो कोई अर्थी पर सजता है ,-
अगर आँसू की आँखो में जगा ना होती
तो फूलो को कांटो की जरुरत ना होती-
फूलो की तरह खिलना है हमे
खुद के लिए
खुद को संभलना हैं हमे
भूल कर जिंदगी की बुरी यादों को
महक अपनी चारो फैलाना हैं हमे
अपनी खोई हुई हर खुशियों को
वापस फिर से पाना हैं हमे
खुद के लिए
कुछ कर दिखाना है हमे-
हम अमीर अपने घरों को पहले सीमेंट से सजाते है ।
फिर फूलो की याद आई तो मिट्टी खरीद कर लाते है।।-
फूलों के घाटी के पास मेरा घर हो
फूलों की तरह मैं खिलाती रहूं
पक्षी की तरह मैं चहकते रहूं
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फूलों की कोमलता इस एक बात पर निर्भर करती है हमारे अपने मन की सुंदरता कैसी है।
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फूलों की महक अदृश्य होती है वो हमे दिखाई नही देती, लेकिन सुशोभित सारे जग को करती है और आप कहते इस धरती पर भगवान ही नही, बडे अफसोस की बात है।
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जिस तरह फूलों की खुशबू
काँटों के जीने की आरजू है
वैसे ही मुझे तेरी जूस्तजू है
फूलों के खुबसूरत वादियों में
मुझे मालूम है कि.. एक दिन
मुझमें भी वहीं खुशबू होगी
जो इन फूलों में बसी हुई है
मैं भी कभी किसी के दिल में
चाहत बनकर बसी रहूँगी
मुस्कुराती रहूँगी........-