रात की कोख में सवेरा पलता है,
स्त्री के गर्भ से जीवन की नई किरणें निकलती हैं।
वही स्त्री जो नन्हें जीवन को जन्म देती है,
वही स्त्री जो सृष्टि को संवारती है,
उसे नया अर्थ देती है।
स्त्री की ममता से जीवन की नई शुरुआत होती है,
स्त्री के प्रेम से जीवन की नई उम्मीदें पैदा होती हैं।
वही स्त्री जो जीवन को सुरक्षा देती है,
वही स्त्री जो जीवन को संवार देती है,
उसे नया अर्थ देती है।
रात की कोख में सवेरा पलता है,
स्त्री के गर्भ से जीवन की नई किरणें निकलती हैं।
यही है स्त्री की शक्ति,
यही है स्त्री की महानता।
रात की कोख में सवेरा पलता है
अर्थात् स्त्री से ही दिन निकलता है-
नारी शक्ति की महानता को सलाम,
लिखें जाते हैं हर दिन इनके कलाम।
महिलाओं की महिमा का होता है सम्मान,
कोटि-कोटि करते हैं हम इन्हें प्रणाम।
तुम्हारी कोमल वाणी में शक्ति है,
तुम्हारे कठोर निर्णय में साहस है।
तुम्हारी नरम शैली में मधुरता है,
तुम्हारे सुंदर और सभ्य आचरण में गौरव है।
तुम्हारे मधुर व्यवहार में सहानुभूति है,
तुम्हारे सहानुभूति की धार में जीवन-गंगा है।
तुम्हारी महानता को दर्शाती है यह झंकार,
हमारी ओर से मुबारक हो खुशियों की बहार।
तुम्हारी शक्ति को प्रणाम ,
तुम्हारी महानता को नमन,
तुम्हारी तरह चमकता रहें यह गगन ।
तुम माँ, बेटी, बहन, पत्नी या बहू हो,
हर रूप में देवी हो।
हर भूमिका होती है, हे नारी! तेरी असरदार,
तेरा ही वजूद-ए-दास्ताँ ज़हन में है बरकरार
तू अपने निर्मल रूप से नारी,स्वरूप बदल देती है
दुनिया के कोने-कोने में,
जीवन के संघर्ष का जयघोष करती है
तुम्हारी महानता को दर्शाती है यह झंकार,
महिला दिवस पर 'शिखा' की ओर से ढेर सारा प्यार ।-
जिनके जीवन का लक्ष्य यही
भारत के ऐसे बच्चे हों
जो पढ़ा - लिखा के सीख यही
देते हो, जो भी अच्छे - सच्चे हो
मानव गुण का हो रहा विकास
तुम ही धरती, तुम ही आकाश
ऐसे शिक्षक का वंदन है
कर जोड़, उर से अभिनंदन है
शिक्षा की ज्योति प्रज्वलित रहे
शिष्यों का भविष्य प्रफुल्लित रहे
दिन - रात कामना यही रहे....
तुम राह दिखाओ मैं चलता रहूँ
जीवन को सरल बताते तुम
अज्ञान दूर भगाते तुम
ऐसे शिक्षक का वंदन है
कर जोड़, उर से अभिनंदन है-
दिल से हम सब एक है
सबका मकसद नेक है
तीन रंगों से ये देश है
भारत माँ का यही संदेश है
सद्भावना की चाकी से
सुविचारों की परिपाटी से
समृद्ध धरा की हरी खेत है
मन-मस्तिष्क के हर कोने से
मिलकर बोलो हम एक हैं।
शहीदों की मुस्कुराती शहादत से
आजादी का चहुँ ओर शोर है
मिलकर बोलो हम एक है-
ये सूत्र है रक्षा का
दीप, कुमकुम, अक्षत का बंधन
इंतज़ार और अपनेपन का बंधन
विश्वास से भरे एहसासों का बंधन
निष्ठा से जुड़े संकल्प का बंधन
समर्पण संस्कृति की रक्षा का बंधन
बहन-भाई के अटूट प्रेम का बंधन
लंबी उम्र और उपहारों का बंधन
किसी को अपना बनाने का बंधन
बधाई हो सबको स्नेह भरा रक्षाबंधन-
तुम साथ हो, तुम पास हो
खास हो मृदुल-स्वप्नों में तुम
तुम्हीं से मधुमय आस हो
ज़िंदगी के सफ़र में
सुकून - ए - श्वास हो
लाख काँटे या हो पत्थर
चाहे मुश्किलों के पहाड़ हो
गुनगुनाकर गीत हौसलों के
हाथों में मेरे तेरा हाथ हो
जब कभी रोकूं तुम्हें तो रुक जाना
हमसफ़र मेरे मेरा साथ निभाना
रास्ते में हो अंधेरे या उजले सवेरे
बिन सोचे, बिन कुछ पूछें
मेरे साथ रह जाना
मेरे एहसासों,भावनाओं में तुम हो
मेरी कामयाबी,कल्पनाओं में तुम हो
सदियों तक रहना ऐसे ही साथ मेरे
गम या खुशी हो मिल बांटना साथ मेरे
क्योंकि......
एक तुम्हीं मेरे जीवन का आधार हो
और तुम्हीं मेरा प्यार भरा संसार हो-
कड़ी धूप में बनती छाँव , बनकर स्नेह बरसती माँ
माँ जीवन की भोर है , मन की निर्मल शोर है
जलाती पल-पल विश्वास का दीप , बनकर रहती बच्चों की मीत
माँ जीवन की डोर है , सुख-दुःख की छोर है
माँ की डाँट में छिपा है प्यार , जिसमें हैं खुशियां अपार
माँ का कोई पर्याय नहीं , 'माँ' शब्द से बढ़कर कोई सार नहीं
माँ बिना न कोई सुख , माँ के डर से भागे हर दुख
माँ जीवन का आधार है , माँ में बसा पूरा संसार है-
मां का प्यार बड़ा अनमोल
नहीं लगा सका कोई इसका मोल
बचपन के कोरे कैनवास पर
भरती संस्कारों के रंगीले कोर
नव विश्वास भरती कदमों में
नन्हीं ऊंगली पकड़े जोर
बुरी नज़र से बचा-बचाकर
कष्ट हमारे हरती माँ..
बिछा बिछौना गोद की अपनी
हाथ सिरहाना धरती माँ..
काली अंधियारी रातों में
मीठी लोरी गाती माँ..
दुख को सहती, चुप-चुप रहती
कभी बहस न करती माँ..
खुद जब बट जाती हिस्सों में
जिम्मेदारियों के अनगिनत किस्सों में
उम्र की बढ़ती झुर्रियों में
हरपल दुख में ढलती माँ..
मरहम बन हर घाव को भरती
सदा सुकून को तरसती माँ...-
हर मुख जपे बस राम का नाम
दशरथ के घर जन्में राम, मात-पिता के प्यारे राम
माँ कैकयी के दुलारे राम, भरत,लखन,शत्रुध्न के भईया राम
गुरु वशिष्ठ के शिष्य राम, विश्वामित्र के रक्षक राम
पथराई अहिल्या के तारण राम, दुष्टा ताड़का के संहारक राम
सिद्धाश्रम ऋषि-मुनियों के राम, शिव धनुष को तोड़े राम
सीता ब्याह लाएं अयोध्या में राम, अयोध्या की सुख,समृद्धि में राम
मंथरा के षड्यंत्र के भोगी है राम, दो वचनों को सहर्ष पूर्ण करते है राम
धैर्यवान,कर्तव्यनिष्ठ,आज्ञाकारी पुत्र है राम, त्याग, बलिदान प्रजा के प्यारे राम,
केवट को भयमुक्त करते हैं राम
पंचवटी,भरत-मिलन,पितृमेध किए राम, वनवासी लक्ष्मण, सियाराम
स्वर्ण-मृग आखेटक बने है राम, सीता- हरण हुआ, हे राम!!
हृदयप्रिय सिया वियोगी राम, वन-वन भटके सिया खोजी राम
शबरी के जूठे बेरों में राम, हनुमत आराध्य जय श्री राम
सुग्रीव सहयोगी बालि मारे राम, सागर दंभ दलन करते है राम
शिव प्रतिष्ठा रामेश्वरम राम-राम, लंका में चढ़ाई करते हैं राम
विभीषण मित्र, आश्रयदाता श्री राम, कुंभकर्ण के भगवान नारायण है राम
अत्याचारी असुरों को सहारें राम, व्याकुल सीता को धैर्य धराएं राम
'र' स रावण, 'र' से राम, लंकापति रावण को मारे-तारे राम
दया, कृपालु, बलशाली राम, धैर्य, सत्य, अनुशासन राम
कर्तव्य, विनय, अनुरागी राम, त्याग, बलिदान, पुरुषोत्तम राम-
तुम साथ हो, तुम पास हो
खास हो मृदुल-स्वप्नों में तुम
तुम्हीं से मधुमय आस हो
ज़िंदगी के सफ़र में
सुकून - ए - श्वास हो
लाख काँटे या हो पत्थर
चाहे मुश्किलों के पहाड़ हो
गुनगुनाकर गीत हौसलों के
हाथों में मेरे तेरा हाथ हो
जब कभी रोकूं तुम्हें तो रुक जाना
हमसफ़र मेरे मेरा साथ निभाना
रास्ते में हो अंधेरे या उजले सवेरे
बिन सोचे, बिन कुछ पूछें
मेरे साथ रह जाना
मेरे एहसासों,भावनाओं में तुम हो
मेरी कामयाबी,कल्पनाओं में तुम हो
सदियों तक रहना ऐसे ही साथ मेरे
गम या खुशी हो मिल बांटना साथ मेरे
क्योंकि......
एक तुम्हीं मेरे जीवन का आधार हो
और तुम्हीं मेरा प्यार भरा संसार हो-