सुनों फागुनीया,
सब होली में गले मिले हैँ
मेरे हृदय में भी प्रेम पुष्प खिले हैँ
सोचूं आज, काश तुम मेरी और
सतरंगी तितली बन चल दो
और मेरे उदास चेहरे पे अपने
सारे रंग मल दो,
मेरी फागुनीया,
करो ना कुछ कोई ऐसी व्यवस्था
के लौट आये फिर वो रंगों भरी तरुण अवस्था
तुम अंकुरित होती हो,.... "मैं" झड़ूँ पर
चलो, अबके फागुन एक साथ पुनः लगें फिर
प्रेम तरु पर,
प्रिय फागुनीया,
चलो ना, एकदा फिर परस्पर तृष्णा हो जाएं
तुम राधा... हम कृष्णा हो जाएं...,,
हुं... सुनों "फागुनीया"!!-
फागुन और होली से मेरा पैदायशी रिश्ता है।
ये मेरे बर्थडे का महीना है।।
😊😊
साल भर बाद आता है।
मेरी जिन्दगी का एक साल हर साल ले जाता है।।
🤗🤗-
ख़ुद को पी के बर्बाद न करना
जो बिछड़ गए हैं तुमसे उनको याद न करना-
प्यार के रंग में रंग जाए पिया
मैं राधा बनूँ तुम बन जाओ कन्हईया
प्रीत का रंग कभी छूटे न पिया
फागुन मासे धड़के जिया
फागुन में मुझे छेड़ो न पिया
इस फागुन में तोहे रंग दूँ सांवरिया
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एक रंग इश्क का,*
*तुम मुझमें घोल दो...!*
*तन मन मेरा,*
*फागुन हो जाए..!!*-
रंग बिरंग बना लूं माहोल
खुशी से झूम उठेंगे सब लोग
ये केवल रंग नहीं प्यार की प्रतीक है
सबसे प्यारा यह त्योहार अधिक है ।-
मैं जुगों जुगों का प्यासा हूँ, तुम फागुन बन कर आ जाओ,
हर रंग ज़माने का झूठा, अधरों से रंग लगा जाओ...
रोम रोम पुलकित कर दो, हर अंग से अंग लगा जाओ,
तुम ओढ़ चुनर धानी रंग की, इस मरु जीवन पर छा जाओ,
साँसों का रंग चढ़ा दो तुम, मेरी अलसाई साँसों पर,
मेरे सीने की धड़कन को, तुम अतरंगी सा कर जाओ,
मैं मंत्रमुग्ध सा हो जाऊँ, तुम आँखियों से मनुहार करो,
किंशुक फूलों सा केसरिया, तुम यौवन का श्रृंगार करो,
मैं प्रेम अगन में झुलस रहा, महुआ की बनी शराब हो तुम,
मैं कुँज भ्रमर सा मतवाला, निशगंधा मधु पराग हो तुम,
हैं पवन के झोंकें झूम रहे, टेसू ने रंग बिखेरे हैं,
तुम बन कर केसर की डाली, अंतर्मन महका जाओ,
ओ मृगनयनी, अलबेली नार, पायल झँनकाती आ जाओ,
कुछ नयन मटक्का कर लें हम, सुंदर मुखड़ा दिखला जाओ,
हृदय वीणा की प्रेम तान पर, मधुर गीत कोई गा जाओ,
हम थाल सजाएँ रंगों का, तुम प्रीत के रंग लगा जाओ..
मैं जुगों जुगों से प्यासा हूँ, तुम फागुन बन कर आ जाओ...-
राधा सा
तन हुआ,
और मन हुआ
सखी
मोहन...!
रंग उड़े...
गुलाल उड़े...
फाग में...
हुई संपूर्ण धरा
आज...
मधुबन!!
"सुषमा सागर"-
मेरी कविता से छिटक छिटक कर
पूरे आसमान में फैल गये ये फागुनी रंग
यह नीला
और... यह पारदर्शी आसमानी
यह लाल, गुलाबी
और... और यह सुर्ख तीखा लाल...!
यह धानी हरा, यह तोतिया सुआपंखी
यह पीला मटमैला
और... और यह गेहूआं
ओह! फागुनी रंग
आज तुम्हीं
सिर्फ और सिर्फ तुम्हीं
मेरी कविता हो...! 🌈 कविता🌈
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