प्यार और जख्म में बस इतना फर्क पाया...
की प्यार ने दिया सहारा ,और जख्म ने फिर से जीना सिखाया.....😕😕-
उसके चेहरे की बेसुमार चमक वही है।
उसे देखने का हमारा अंदाज वही है।।
आज भी कुछ नही बदला हमारे बीच यारो
उसे तो फर्क भी नही पड़ता, और हमारा प्यार वही है।।-
"मुझे फक्र है मेरी माशूक़ा की मोहब्बत पर"
-- इक आशिक़
"वो तेरी इतनी सी भी फ़िक्र तक नहीं करती,
वो तेरा दोस्तो के सामने ज़िक्र तक नहीं करती"
-- ऋषी दिलवाले-
सब भुला दूँगी
पर तेरी खुदगर्ज़ी नहीं भुलाई जा रही !
आखिर क्यूं मैं जिंदगी और मौत में
फर्क नहीं कर पा रही !-
ख्वाब और ख़याल में फर्क बस इतना है,
कभी बंद तो कभी ये आँखें खुली होती हैं !-
उसने मां को नहीं बीबी को चाहा था,
चाहत में फर्क मुझे आज पता चला....
उसका दिल ही इतना काला था,
काले में फर्क मुझे आज पता चला....
उसने छीना माँ के हक का निवाला था,
पालन में फर्क मुझे आज पता चला....
उसने घर को जहन्नुम बना डाला था,
आँगन में फर्क मुझे आज पता चला....
उसने जायदाद में हिस्सा माँगा था,
लालच में फर्क मुझे आज पता चला....-
हाँ समझा दिया तुमने मुझे
फर्क है हम दोनों मे हालात का जज़्बात का
फ़िक्र और ख्यालात का
जो तुमने तारीफ़ करी, हर उस झूठी बात का
तुम हो सुबहा की लालिमा
और मै हूँ अंधेरा काली रात का-
शब्द हों न हों
कोई फर्क नहीं पड़ेगा
अब कहाँ होता है
लोगो के बीच
सार्थक संवाद।
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