तुम हमारे पीछे चल रहे थे जैसे गठबंधन के समय कुछ फेरे तुम्हें पीछे रहकर पूरे करने थे हमारी अंजुरी में स्पर्श का अनुभव देते हुए... पर यह क्या तुमने रेशम के पवित्र परिणय की पूर्णाहुति दे डाली.
तू बचपन का प्यार मेरा मै तेरी दीवानी हूं। प्रेम किताबों के पन्नों सी मै तेरी पढ़ी लिखी कहानी हूं। तू श्याम की तरह चंचल है मै राधा सी नादानी हूं। तू शीतल सा अनुभव है मुझमें मै ताज़ी हवा रुहानी हूं। तू घनश्याम की अद्भुत मुरली मै प्रेम की मीठी वाणी हूं। जिसका सब कुछ तुझ पे अर्पण मैं तेरी वही "शिवानी" हूं।
"तुम" कितना भी खींचो वीणा के तार की तरह... और छोड़ दो "मुझे" ... मैं झंकृत हो उठूंगी ... हर बार .... पहले से अधिक ..... ....... और ध्वनित हो उठेगा ... मेरा हर स्वर ... हर बार .... पहले से अधिक ... ....... हाँ प्रेम में .......