मै किताब हो गया
इक इक पन्ने पर है चमक तुम्हारी
मेरा हर एक लफ्ज़ महताब हो गया
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तुमसे भी मुलाकात करेंगे,
अभी तो हम जिंदगी का इम्तिहान दे रहे हैं
यकीन म... read more
अनगिनत चलती हुई मोटरकारो बीच
विचारो से तेज भागती जिदंगीयो में
इस कोलाहल मे जो उपजता खालीपन है
शायद मन के सूनेपन का वही संगीत है
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तुम पास होते तो
कितना अच्छा होता
तुम साथ होते तो
कितना अच्छा होता-
त्याग तप उपवास उपासना
शिवस्तुति शिवध्यान शिवसंकलप
शिवशक्ति मिलन सृष्टि उत्पत्ति
आदि अनन्त शिवसमाहित शिवकामना— % &-
मैं अल्हड़ मस्त मलंग
तू प्रयागराज की कुंभ ,
यूं ही नहीं होता ये संयोग संगम
मानव जीवन,मोक्ष, मुक्ति,
वर्षो का लम्बा इंतजार है।-
किन लफ़्ज़ों में लिखूं इंतज़ार तुम्हारा
किसी नज़राने से कम नहीं इक message तुम्हारा
गुस्सा,रुठना, बोलना सब मंजूर हमें...
बर्दाश्त नहीं होता है तो बस मुरझाना तुम्हारा...
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किताब का हर इक पन्ना महताब है
अंधेरों में भी रौशन इक ख़्वाब हैं
ख़्वाब के मंजिलों तक जाने का पता
सिर्फ यहीं किताब है
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ख़्याल
ख़्वाब
महज़
ख़्याल
ख़्वाब
नही है
ये
प्रकृति द्वारा
रचित
संयोग है-
अजीब सा खुमार होता है
न जाने कैसा कैसा
एहसास होता है
बस इसी समय
बेड़ा गर्ग होके पार होता है
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