मायूस न हो ,उमीद-ए-चिराग जलाएं रख
पहाड़ टूटकर चूर होगा,ठोकरें लगाएं रख
बेअसर हो 'गर तेरा हर वार शत्रु पर
तो मुस्कुराहट से अपनी उसे जलाएं रख
तुम्हें तैरना नहीं आता या डर ऊँचाई से लगता है
इस राज को राज रख, अपनो से भी छुपाएं रख
इश्क़ किया पत्थर से तो हौंसला भी चट्टान सा रख
निष्ठा दृढ़ कर और इबादत का दीया जलाएं रख
वो जो संग-दिल हैं,संभवतः उसमें प्रेम रस भी ज़्यादा हो
तू उस नारियल से लहज़े पर टकोर प्रेम की लगाएं रख
क्या पता मैं कब पत्थर से मोम हो जाऊँ
"मुनीष"तपिश में अपनी मुझे तू जलाएं रख-
Inn aankhon me
sirf teri yadon par gazal
likhi gayi hai par vaisi nahi
jinhe har koi aake padh sake.
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एक मौका तो दे दे रूबरू होने का
धुंधली सी जो तस्वीर है मन मे मेरे
उसे हूबहू होने का
एक मौका तो दे दे
चंचल सी जो तस्वीर है मन मे मेरे
उसे रुकने और ठहरने का
एक मौका तो दे दे
हमे अपने साथ साथ चलने का
बेढंगे से है खुद को बदलने का
एक मौका तो दे दे
बावरे दिल को मेरे सम्हलने का
मन से मन मे घर बदलने का
एक मौका तो दे दे
हमे तेरे शहर को शहर अपना कहने का
तेरे सहर को हमारे सहर बनने का
एक मौका तो दे दे
आज फिर इस युग में प्रेम को जताने का
तू बन राधे मुझे श्रीकृष्ण सा बन जाने का-
( श्याम तेरी राधा )
श्याम तेरी मुरली को तरस रही राधा,
हार रहा प्रेम...
भला....कैसे मनाऊं हर्ष जीत की ।
थिरक रहे पाँव मगर झनक नहीं पाजेब में,
तू पुकार के नाम मेरा.........
फिर छेड़ कोई धुन प्रीत की ॥
श्याम तेरी मुरली को तरस रही राधा,
लाज रखले कान्हा मेरे विरह गीत की ॥-
मै बन जाऊँ तेरे ललाट का तिलक
तु मेरे गाल का तिल हो जा
देख तुझे मै इठलाऊँगी
तुम देख मुझे आनंदित होना
ig / @kajal.quotes-
मैं प्रेम हृदय में घोल रही हुँ
मैं मन की बातें बोल रही हुँ
मैं रज में तुमको देखुँगी
दो नयनों से सब बोल रही हूँ....
ख्वाबों में जो तुझको एक रोज़ मिली थी
वो यादों की खुशबू घोल रही हूँ
आज चुप्पियाँ सारी तोडुंगी
मन की बातें बोल रही हूँ.....
चाहो तो अपना लो या कर लो तुम खुद से मुक्त
हरदम से अनमोल रहे हो ऐसा मैं बोलूंगी
मेरी चुप्पियाँ भी आज बोलेंगी
तेरे दिल में मिश्री घोलेंगी....
तुम शायद मुझको समझोगे
मेरे दिल की भाषा पढ़ लोगे
जब भी व्याकुल मैं होऊँगी
तुम बाँहों में मुझको भर लोगे....
आँखे मेरी झुक जाएंगी
जुल्फें हवाओं में लहराएंगी
मैं चंदा-सी शर्माउंगी
फिर तुममें गुम हो जाऊंगी....
मैं ऐसा प्यार जताऊँगी
ये राज मैं सारे खोल रही हूँ
मैं प्रेम की बातें बोल रही हूँ
मैं प्रेम की बातें बोल रही हूँ........-
"प्रेम दिवानी दुनिया सारी"
प्रेम पियाला चखा है जिसने वो मस्त जिया करते हैं।
भर भर अंजुरि प्रेम रस , वो दिन रात पिया करते हैं।
मीरा ने जानी प्रेम महिमा ,किया समर्पित जीवन सारा।
विष भी बदलेअमृत में ,जो प्रेम का नाम लिया करते हैं।
प्रेम शब्द एक छोटा सा पर व्यापकता विशाल लिए है ।
हर पल आनंदित हो जाए जो इसके नाम किया करते हैं।
हार जाती नफरत भी जब प्रेम हो ध्रुव प्रह्लाद के जैसा।
प्रेम के आगे ईश्वर भी शबरी के झूठे बेर खाया करते हैं।
प्रेम ने जीता जग सारा , हर शय को अपना बनाया है।
फूलों पर भंवरें,शमा पर परवाने जान लुटाया करते हैं।
प्रेम आकर्षण से बंधकर ये धरती , चंदा और सितारे।
हर लम्हा घूम घूमकर , सूर्य परिक्रमा किया करते हैं।
कृष्ण राधा की प्रेम कहानी ,घर घर गूंजे मिसाल बनके।
प्रेम सत्य ,प्रेम अमर 'सुधा' ,युग युग महिमा गाया करते हैं।
सुधा 'राज'
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सुनो ना
एक हथेली तेरी,एक हथेली मेरी
मिल कर अंजुलि बनाते है
मधुर प्रेम का रसपान करते है-
प्रेम मधुररस की शीतल बूंदें
बरसा दो ज्वलित हृदयतल पर
जल रही हूँ निपट अकेली विरह के अग्निपथ पर
सागर सी बाँहो में भर लो, टूट जाये जाए अब सभी किनारे-
तन - बदन में उलझे है रिश्ते
अब यहाँ आंतर-मन में झाँखे कौन.?
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वो तो राम थे जिसने प्रेमरस पिया
वरना शबरी के जूठे बोर चाखे कौन.?-