Poonam ✨   (पूनम भारती)
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#कच्चीकलमpoonam

💫॥ दो पल की ज़िन्दगी
हज़ारो फसाने ॥💫
Joined 6 January 2019


#कच्चीकलमpoonam

💫॥ दो पल की ज़िन्दगी
हज़ारो फसाने ॥💫
Joined 6 January 2019
16 JUN 2024 AT 13:33

कि जैसे ......
बेताब सी लहरों पर वो शांत सी कश्ती कोई ।
आबाद से शहर में वो बर्बाद सी बस्ती कोई ।।

कि जैसे ......
ख़ामोशी के साये में एक पलता सा शोर ।
लम्बी अंधेरी रात को एक ठहरा सा भोर ।।

कि जैसे .........
उजड़ रहे बाग में एक खिलता सा गुलाब कोई ।
बद्दूओं में उम्मीद सा एक फकीरी रूबाब कोई ।।

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20 OCT 2022 AT 13:27

ਤੇਰੀ ਠੁੱਡੀ ਉੱਤੇ ਤਿਲ ਸੱਜਣਾਂ,
ਸਾਡਾ ਲੁੱਟ ਕੇ ਲੈ ਗਿਆ ਦਿਲ ਸੱਜਣਾਂ

ਕੱਡ ਹੋਕੇ ਲੰਘਦੇ ਰਾਤ ਵੇ!
ਤੇਰੇ ਮਿਲਣੇ ਦੀ ਮੈਨੂੰ ਆਸ ਵੇ

ਛੱਡ ਦੁਨੀਆਂ ਦੀਆਂ ਰੀਤਾਂ ਨੂੰ,
ਇਕ ਵਾਰੀ ਆਕੇ ਮਿਲ ਸੱਜਣਾਂ

ਤੇਰੀ ਠੁੱਡੀ ਉੱਤੇ ਤਿਲ ਸੱਜਣਾਂ,
ਸਾਡਾ ਲੁੱਟ ਕੇ ਲੈ ਗਿਆ ਦਿਲ ਸੱਜਣਾਂ

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27 JUN 2022 AT 5:21

ये मोह नगर सी दुनिया में, तिनका तिनका फंसा पड़ा

मैं निर्मोही सा लेकर मन, तो बोल फकीरा जाऊं कहां

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22 JAN 2022 AT 22:20

एक घरौंदा माटी का, मेघ से कह दो बरसे ना
दाना दाना ये माटी का, बूंदों से बह जाए ना

एक कली कोशा सी, शया से कह दो चमके ना
रोम रोम ये कोशा सा, बिजुरी से जल जाए ना

भाव मृदु सा मन का, जिव्हा से कह दो ठहरो ना
नवप्रसूत ये चाह चित्त का, शब्दों से मर जाए ना

नूतन भ्रम छल नैन का, हिया से कह दो तरसे ना
यह उषा निशा से जीवन का, हर्ष इति हो जाए ना

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1 FEB 2019 AT 21:03

॥ माथे बस ईक तिलक लगा के, करे फकीरी ढोंग. . . . .
जब 'मोह-माया' ही त्यागी न, तो फिर काहे का 'संत' ॥

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17 OCT 2021 AT 13:28

कि वक़्त की साजिश थी खुशियों का सौदा हुआ
कुछ हंसी रिश्वत थमा हमने चौखट से मोड़ दिया

कि रेत रवा से रिश्ते फिसल रहे गरज़ के मोह में
कुछ हाथ भिगो कर थामा बाकी सब छोड़ दिया

अजब पहेली ज़िन्दगी ये रीत डोरी में उलझ रही
कुछ बंधन को छोड़कर बाकी सब को तोड़ दिया

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29 APR 2021 AT 9:37

ये ढलती हसीन शामें एक लम्हा चुरा कर रखा है
ये रात अंधेरी बाकी है एक बात छुपा कर रखा है

दो मुलाकातों का सफ़र बाकी सदियों की बातें हैं
संग गुजरेंगे गुफ्तगू में एक साथ बचा कर रखा है

ख्याल हसरत-ए-दीद कि आदतन हम सोते नहीं
एक झलक के सदके कई ख्वाब सजा कर रखा है

कुछ ख़ाली पन्ने जज़्बातों के धूल पड़े अरमानों के
हम समेट रहे हैं बाहों में सीने से लगा कर रखा है

कभी जिस्म से रूह तलक बर्बाद हुए है बातों में
हसरतें ख़ाक बची है बाकी तेरी रज़ा कर रखा है

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21 MAR 2021 AT 10:52

अनजान सफर बेईमान डगर साथ अपने तन्हाई है
यह दिख रहा जो कारवां-सा वह तो बस परछाई है

रक़ीब बनें सब चेहरे लब शमशीर उठाए फिरते हैं
घायल मन बेसुध बदन शिकस्ता दर्द की गहराई है

फिर उम्मीद का एक नया हम चिराग उठाए बैठे हैं
थाम के अश्क़ किनारों पे एक ख्वाब सजाऐ बैठे हैं

बेमतलब सी राहों पर कहीं दूर तलक अब जाना है
जो हो रहा नामुमकिन सा ताख़ीर मगर वही पाना है

वो छोड़ ख़याबाॅं मोड़ कहीं किए हिज्र से रुसवाई है
फिर गूंज रहा कुछ कानों में क्या दूर कहीं शहनाई है

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12 FEB 2021 AT 18:17








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10 FEB 2021 AT 23:25

लफ्ज़ जेहन में दफन पड़े अलफ़ाज़ों के पहरे से
कुछ बात रही है आधी और घाव बड़े हैं गहरे से

रुकी रुकी असीर सांसे बेसुध बिना तकल्लुम के
आजिज़ बैठी आस्ताँ पर अश्क़ पड़े हैं ठहरे से

दिल के खाली पन्नों पर बात हमें भी करनी है
कुछ राज हमें भी धरने पर बज़्म पड़े हैं बहरे से

सब किस्से वही पुराने हलावत बड़े हैं कड़वे से
कुछ बात रही है आधी और घाव बड़े हैं गहरे से

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