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दिल को अब तक कोई जचा नहीं
प्यार का साज कोई बजा नहीं
दिल तो धुआंदार हुआ
फूल मुकम्मल अब तक
कोई मिला नहीं-
कभी श्रीराम कभी अर्जुन कभी कन्हाई बन जाना,
जरूरत हो तो तुम मेरे पापा की परछाई बन जाना,
रहती मैं नहीं महफूज हरपल मां बाप के साए में,
कभी दिखूं अकेली मैं तो तुम मेरे भाई बन जाना।-
मैं बाबा को देखती हूँ।
मैं मेरे स्वप्न देखती हूँ।।
( अनुशीर्षक में )
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वक्त के साथ रिश्तो को बदलते देखा है
दौलत के लिये अपनो को लडते देखा है !
लिये आग चढा था जो सुबह आसँमा पे
शाम उस सूरज को पिघलते देखा है !
तैरा था जो लहरो के विपरीत हरदम
साहिल पे उस जहाज को डूबते देखा है !
हुआ करती थी जहाँ संस्कारो की बाते
हाँ मैने उन घरो को टूटते देखा है !-
अपनों से मिले दर्द की तुलना ,
पराए दर्द से की नहीं जा सकती।
ज़ख्म जो मिले अपनों से,
उसे हर वक्त कुरेद नहीं सकती।
तुम अपने हो ये मैं बता नहीं सकती,
एक पल में हंस्ती तुम्हारी मिटा नहीं सकती।
अपनों से मिले दर्द में आराम नहीं मिलता,
ये किस्सा हर किसी के साथ नहीं होता।
हर वक्त दुआओं में हांथ उठाया था तेरे लिए,
तुम क्या थे मेरे लिए ये बता नहीं सकती।
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अगर आप किसी से सच्चा प्यार करते हैं तो,
आप उन्हें उनकी अच्छाइयां बुराइयां समेत अपनाएंगे।-
जितने के लिए तो हौसले की जरूरत होती है
हारने के लिए एक ना ही काफी है
Priyanka sisodiya
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