तुम हो मेरा सब कुछ सर्वस्व ही हो
फिर आईने में तुमको कोई और क्यों दिखता है,
मेरे अंदर की छटपटाहट क्या तुम्हें महसूस नहीं होती
वर्षों पहले जोड़ा गया रिश्ता इतना कमजोर क्यों दिखता है,
समझती हीं रही तुम्हें और तुम्हारे जज्बातों को
फिर हर जगह पैसा ही क्यों बिकता है,
धोखा देते ही रहे तुम मुझे हमेशा
फिर सारी मर्यादाओं का भार मुझपे ही क्यों टिकता है,
भरता ही जा रहा दिल मेरा अवसादों से
मेरी मुस्कुराहट के पीछे का दर्द क्यों नहीं दिखता है,
जानती हूँ की अकेली ही थी और जीना अकेले है
फिर सत्य इतना कड़वा क्यों लगता है,
हर जगह रिश्ते निभाने का बोझ मुझ पर ही क्यों
तुम्हें सब कुछ छोड़ना इतना आसान क्यों लगता है,
तुम्हारे ही लिए तो जीती हूँ
फिर आईने में तुमको कोई और क्यों दिखता है।।-
तुमसे मिलकर खो गई मासूमियत हमारी,
जान ना ले ले कहीं ये आशिक़ी तुम्हारी,
निः स्वार्थ प्रेम ही है वसीयत हमारी,
उड़ते परिंदे से तुम और आवारगी तुम्हारी।
की दरवाज़े पर तुम्हारी राह देखती नज़र हमारी,
जान ना ले ले कहीं ये आशिक़ी तुम्हारी।।
तुम हो मेरी लकीरों में बन गए हो क़िस्मत हमारी,
की चलती ही जा रहीं हूँ राहों में तुम्हारी।
जान ना ले ले कहीं ये आशिक़ी तुम्हारी ।।
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उदास थी मैं एक कोने में पड़ी थी
वहीं मेरी परछाई जैसे मुझसे सवाल करती,
पूछती मेरी उदासी का निज कारण
और मैं फिर आंसुओं को पोछकर कहती ,
कुछ तो नहीं हुआ मैं जरा आईने में देख कर चेहरा आती हूँ,
वो कोना जो हंस रहा था मेरे झूठ पर
क्योंकि वो ईंट और सीमेंट से बने कोने ने सहारा जो दिया था,
साक्षी था वो कोना घर का मेरी उदासी का,
जान गई थी मेरी परछाई और घर का हर कोना
की मुस्कुराते हुए चेहरे में दर्द को पहचानती वो परछाई,
और मेरे घर का हर कोना।।-
अब और जीने का मन नहीं है हृदय बहुत टूटा है मेरा,
गर तुम नहीं तो अब कुछ नहीं है मेरा,
तुम पे आकर दुनिया मेरी ठहर सी जाती थी,
तुम ही नहीं तो बताओ अब कौन है मेरा।
आँखों से बहते आंसूँ हृदय के उमड़ते जज़्बात,
तुम नहीं होगे साथ तो कौन देगा अब साथ मेरा,
भीड़ में भी मुस्कुराकर ख़ुद को तन्हा पाया है,
तुम्हारे सिवा इबादत कौन बनेगा मेरा,
तुम हो तो सब है तुम्हारे बिना अब कुछ नहीं है मेरा।।
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फ़रिश्ते सा दिल तुम्हारा अब मेरे पास है।
देखो ना सनम तुम्हारे हाँथ में मेरा हाँथ है।।-
ऐ सखी मेरे साथ बितायी हर सुबह और हर शाम याद रखना,
तुम्हारे साथ वो चाय और हमारी मुस्कुराहट याद रखना,
कुछ बचपन की बातें और कुछ जवानी याद रखना,
सुख दुख के हैं हम संगी साथी अकेले का नहीं ये याद रखना ।
तुम्हारे साथ वो चाय और हमारी मुस्कुराहट याद रखना।।
हर उलझन को हमने मिलकर सुलझाया ये साथ याद रखना,
कभी आए कोई मुसीबत तो ऐ सखी हमें तुम याद रखना।
तुम्हारे साथ वो चाय और मुस्कुराहट हमारी याद रखना।।-
तुम और तुम्हारी बातों में हम यूँ ही मुस्कुराए,
कभी जागते हुए तो कभी सोते हुए हम तेरे सपनों में खोए,
हाँथ में कलम और दिल में तुम्हारी याद,
हम हर पल तुम्हें महसूस करके रोए,
मेरे जीवन के साथी मेरे हमदम,
हम तो हर पल तेरे सपनों में खोए।
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ख्वाबों में एक ख़्वाब सुनहरा,
एक हमारी चाय और तुम्हारे साथ का पहरा,
ढेरों बातें उसमे तुम्हारा हल्के से मुस्कुराना,
देखा मैंने भी ख्वाबों में एक ख़्वाब सुनहरा,
हल्की सी बारिश में मिट्टी की सोंधी खुशबू सी,
हमारी चाय कर दे रिश्तों को थोड़ा और गहरा,
देखा मैंने भी ख्वाबों में एक ख़्वाब सुनहरा ।।-
गहरे से गहरे घाव भी भर जाते हैं,
पर शायद दिल के कुछ अरमान मर जाते हैं,
हम अपनी उम्र से कुछ ज़्यादा ही बड़े हो जाते हैं,
कहते हैं समय सब ठीक कर देता है ,
ये सोच कर हम आगे बढ़ जाते हैं,
बड़े से बड़े ज़ख्मों को हम दिल में ही दफ़न कर जाते हैं,
पर शायद दिल के कुछ अरमान मर जाते हैं ,
धीरे धीरे से हम उम्मीदों का दामन फिर थामने लगते हैं,
ठीक समय आने पर हम फिर मुस्कुराने लगते हैं ।।-