तुमसे अब और दूर, नहीं रह पाया
तुम्हारी ही डगर देखो मैं, लौट आया
दौलत हो तुम मेरी, मैं तुम्हारा सरमाया
धड़कन से जुदा दिल, कब है जी पाया
ना दिन मैं चैन कभी, ना रात में सो पाया
अश्क़ों से कर ली यारी, मैं नहीं मुस्कुराया
मैंने उस एक शब से, कुछ पेट भर न खाया
कुछ खिला दो ना, वक़्त न करो और ज़ाया
हो गया है इल्म, तू है जिस्म मेरा, मैं तेरा साया
न जाने क्या लिखा लकीरो में, क्या चाहे ख़ुदाया
डूबा हूँ तुम में कुछ इस क़दर, मैं ना उबर पाया
जब से बिछड़ी हो तुम मुझसे, मैं 'मैं' ना रह पाया
तुम्हारी ही डगर देखो... मैं लौट आया
- साकेत गर्ग 'सागा'
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