प्रेम कहानी, दिल जुबानी, हर पूनम के चाँद को.....
नववर्ष में करता तेरा पहला दर्शन चैत्र पूनम चाँद को,
तेरे साये तले मैने प्रेम को जाना वैशाख पूनम चाँद को,
निर्जल रह कर की थी वट से मनौती जेष्ठ पूनम चाँद को,
प्रेम की बारहखड़ी सीखी तुमसे आषाढ़ पूनम चाँद को,
बंधा था इस दिन मन्नत का धागा श्रावण पूनम चाँद को,
उमा महेश्वर सा प्रेम फला हममें भाद्रप्रद पूनम चाँद को,
अमृत सी तुम दिल पर बरसी थी अश्विन पूनम चाँद को,
जीवन मे तू देव दीवाली सरीखी कार्तिक पूनम चाँद को,
अंजुरी भर भर प्रेम अनपूर्णा सी मार्गशीर्ष पूनम चाँद को,
इस दिन होता हम दोनों का संगम भी पौष पूनम चाँद को,
पूर्ण हुआ माघ स्नान की तप तपस्या माघ पूनम चाँद को,
काम, क्रोध, मद, लोभ का दहन फाल्गुन पूनम चाँद को,
प्रेम का लेखाजोखा हर महीने की हर पूनम के चाँद को, _राज सोनी
हर दिन मेरे आँगन तुम बनके आओ चाँद हर पूनम को!
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