मन का सूनापन तू ना जाने
तू ना जाने मेरे "मन की बातें"
मन ने क्या-क्या सपनें देखे
तू क्या जाने दर्द यह कैसे,
हर पल होंठों पे बस तेरी बातें
कटती हैं मुश्किल से यह तन्हा रातें,
तू क्या जाने आंखों का रोना
जागे-जागे आधा सा सोनां,
होंठों पे मेरे प्यास है तेरी
मेरे कदमों को तलाश है तेरी,
यह मेरा जीवन बस तेरी आशा
अंत है मेरा, तेरी निराशा,
मन का सूनापन तू ना जाने
तू ना जाने मेरे "मन की बातें"
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