पिता का होना जैसे हमारे सिर पर छत का होना।
पिता का होना जैसे इस धूप में ठंडी छांव का होना।
पिता का होना जैसे अपने जख्म पर मरहम होना।
पिता का होना जैसे भीड़ में किसी अपने का होना।
पिता का होना जैसे डूबते को तिनके का सहारा जो।
पिता का होना जैसे अंधेरी रात में एक उजली किरण।
पिता का होना, दिल्ली की गर्मी में बहती ठंडी पवन।
पिता का होना जैसे निर्मल हो जाए ये तन और मन
पिता का होना जैसे हर्षोल्लास से भर पर हो जीवन।
पिता का होना जैसे मंदिर में उपस्थित मूर्ति पावन।
पिता का होना जैसे हारने के बाद वाली नई ऊर्जा।
पिता का होना जैसे अपने "आराध्य" की हो पूजा।
पिता का होना "अभि" जैसे जीवन का हो कोई अर्थ।
पिता का न होना मानो जीवन हो गया है अब व्यर्थ।-
🌸 [पिता और पुत्र की रुहानी]🌸
पिता और पुत्र का रिश्ता भी अजीब होता है,
खामोशी में बसा ये लफ्ज़ों से गरीब होता है।
ना शिकवे, ना शिकायतें, बस आंखों का एक वादा,
इसमें इश्क भी बेशुमार, और फासला भी करीब होता है।
बचपन में बेटा जब उंगली थामे चलता है,
पिता हर कदम पर उसके लिए खुदा से मन्नतें करता है।
अपनी हसरतों को जलाकर उसकी राह रोशन करता है,
और उसके मासूम ख्वाबों को खामोशी से परवाज़ देता है।
जवान होता बेटा जब नए रास्ते पर निकलता है,
पिता दूर से बस उसकी सलामती की दुआ करता है।
कभी शिकन नहीं, कभी कोई शिकायत नहीं,
कि पिता का प्यार बिना इज़हार के मुकम्मल होता है।
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दुनिया दिखाया, जीना भी सिखाया,
साथ निभाया, खुद को लिए दर्द चुन कर,
हम पर अपने खुशियां लुटाया,
पिता आप इंसान हो कर भी,
भगवान बन कर दिखाया।-
हिन्दी की सभी मात्राएँ हैं औरतें
और अक्षर सभी आदमी,
बिना मात्राओं के कोई अक्षर
ना पिता बन सकता है,
ना पुत्र, ना ही पति!!😊-
पिता होने का अर्थ पुत्र को तब समझ आता है
जब तक वो पिता बनता है, जीवन गुजर जाता है-
बिन पापा जी सकते हो ऐसी ग़लतफ़हमी सबमें अब पलती है
दिल दुःखा देते हो एक पल में तुम ख़ुश रहोगे ये तुम्हारी गलती है
मैं मर भी जाऊँ तो ना उतार पाऊँ कभी कर्ज़ तुम्हारा
कैसे बताऊँ पापा मेरी जान सिर्फ़ आप में ही बस्ती है...$$!!-
पिता ,पुत्र के लिए एक पुल होता है
पुत्र, पिता के लिए मंजिल होता है-
वृक्ष के जैसा होता पिता जिसकी छाँव में बच्चे पलते हैं
सर्दी, गर्मी, धूप, बारिश सब सहता जैसे कोई वृक्ष, फ़िर भी फ़ूल उस पर खिलते हैं-