बस थोड़ा प्यार ही तो चाहिए
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Dr. Jyoti Prakash Rath
Professor of Commerce,
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खामोश जुबान है आँखें नम
शोर बहुत है दिल के अंदर
उमड़ रहें हैं जज्बात तड़प रहे है हम-
कुछ साथ बिताए वक्त रूह में बस गया था
लम्हे गुजर ते गए बीत गए रातें चुपके से
पता है और न मिलेगा वो पल जो साथ बिताए थे
फिर भी एक सुकून सा है, उनकी यादें जो है साथ
उम्र गुजर जायेगा उन के यादों के साथ-
बिखरे लम्हों को न जाने क्यों संजोए चले थे
अंजाम पता था फिर क्यों अनजान बने चले थे-
किस्से बड़े पुराने थे
जख्म भी गहरे मिले
लगा था मिट गए थे कुछ बात
दिल की किताब के बिखरे पन्नों से
अनजाने में पुराने घाव को कुरेद दे बैठे-
बीत गया तो कल कहलाया
साथ निभाया तो आज बन पाया
कल की सोच में जो समय बिताया
जीवन सफल उसका हो न पाया-
आसान नहीं रहा राहें सफर
कहीं धोखा मिला कहीं प्यार
फिर भी चलते रहें
बिन कुछ कहे बिन कुछ सोचे
कोई गिला नहीं कोई शिकवा नहीं-
Time to Start a New Inning;
Offcourse is not an Easy Task
Accept the challenge........
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