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Not to be nursed.-
Dr. Jyoti Prakash Rath
Professor of Commerce,
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यह रिश्ते भी बड़े अजीब होते हैं हमारे दुनिया में।
कुछ नाम के लिए, कुछ बस काम के लिए।
कुछ हैं क्यों के रिश्ते हैं, निभाते हैं, निभाने पड़ते हैं
और कहीं कुछ नहीं, कोई बंधन नहीं।
कोई नाम नहीं उन रिश्तों का, बेनाम रिश्ते,
कोई स्वार्थ नहीं, ना कुछ पाना है ना कुछ खोना है।
बस एक माहिन सा धागा, एक दूजे को जोड़े हुए,
शायद यही रिश्ते हैं, जिन के नाम नहीं है, फिर भी हैं।
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जो गुजर जाता है, फिर भी जाता नहीं।
किसी का खूब होता है, किसी के नसीब में नहीं।
कोई करता है खूब इंतजार इस के आने का,
किसी को कभी मिलता नहीं।
यह "वक्त" भी कितना अजीब है ना
कभी रुकता नहीं कभी ठहरता नहीं .......-
लिखना शौक नहीं है अपना
जीवन का मतलब है
यही समझ आया है अब तक
आगे शायद कुछ पन्ने कोरा रह जायेगा
जब हम नहीं रहेंगे इस दुनिया में-
तेरी जज्बात मेरी किस्मत
चलते रहे यूं साथ साथ
जुड़ते रहे दिल की बात
दिल की सुना पन अब भर ने लगा है
तुम जो मिल गई, जिंदगी बदल ने लगा है
दुआ में बस मांग रहा हूं खुदा से साथ तुम्हारा
जनम जनम का साथ रहे,
कभी टूटे ना रिश्ता हमारा।-
जब शोहरत का एक दरवाजा बंद हो जाता है
भगवान चार खिड़कियां खोल देता है
बस खुद पर भरोसा रखना पड़ता है जनाब-
खुद से लड़ते लड़ते जिद्दी हो गए हैं हम
अब किसी की बेरुखी से फर्क नहीं पड़ता-
"People, Perception, Personal Preferences and Choices"
1. Not responding to Phone Calls,
2. Read Receipts Off in WhatsApp
3. Reading Your messages silently
4. Other Options .............
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