इन फिजाओं में, गुनगुनाती इन हवाओं में। मुस्कुराते बागों में,चहकती पाखियों में। पहले जैसे वो एहसास न रहें। जिनके साथ जीया था इन्हें , अब उन हाथों में मेरे हाथ न रहें।
वो बातों में जज़्बातों में पहले वाली बात नहीं, उन रातों में मुलाकातों में वो पहले वाली बात नहीं, वो दिल की हर धड़कन जो तुझे देख कभी धड़कती थी.... अब दिल की उस किताब में वो पहले वाली बात नहीं।
आज के बचपन में वो पहले वाली बात नहीं शोर मचाना पानी उछालना कॉलोनियों में अलाउड नहीं नमस्ते बना गुड मॉर्निंग सर झुकाना है बैक डेटेड पैर छूने से है इज्जत घटता हाथ मिलाओ तो अपडेटेड बचपन की उन शरारतों को जिसे पहले नादानी कहते थे उन शरारतों में भी जाने क्यों अब वो पहले वाली बात नहीं
पहले बचपन यारों संग खेलने में गुजरता था , आज मोबाईल में डिजिटल गेम खेलने ने गुजरता है , तब बचपन में दादी या नानी की लोरियों से नींद आती थी , आज टीवी और हेडफ़ोन में क्लासिक म्यूजिक से नींद आती है । सच..आज के आधुनिक युग में वो पहले वाली बात नहीं सीता वर्षो महफ़ूज थी रावण के कब्जे में ... आज के रावण में वो पहले वाली बात नहीं... आज का श्रवण माँ बाप को वृद्धाश्रम छोड़ता है , पहले मातृ-पितृभक्त श्रवण में कुछ और ही बात थी .. आज भाई - भाई की जान लेता है दौलत के खतिर .. पहले के भरत , लक्ष्मण में कुछ और ही बात थी ... आज का कृष्णा राधा की ख़ूबसूरती की चाहत रखता है , पहले वाले कृष्णा के चाहत में कुछ और ही बात थी.. समय बदलता नहीं , समय तो अपने मार्ग पर गति करता है .. जमाना बदलता नहीं , जमाना तो समय के अनुसार ढलता है .. बस आज के इंसानो में वो पहले वाली बात नहीं..
तुम्हारी नज़र, मेरी हँसी, तुम्हारी शिकायतें, मेरा रूठना, तुम्हारी चाहत, मेरा प्यार, तुम्हारी आदतें, मेरे नखरे, तुम्हारी नफ़रत, मेरी नाराज़गी, किसी बात में किसी जज़्बात में, अब वो पहले वाली बात नहीं।
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