डर लगता है तेरे प्यार से,
तेरे हर इक़रार से,
पिघल न जाऊँ जो छू ले तू,
तेरे इस मायावी संसार में।
तू मिल जाएगा मुझमें,
मैं मिल जाऊँगी तुझमें,
डर नहीं इस बात से,
मैं थी पत्थर की मूर्ति,
जो डरती है तेरे प्रेम के ताप से।
मैं हूँ बावरी मानती हूँ,
तुझे छोड़ कहीं और न झाँकती हूँ,
अब है ये जुर्म मेरा तो,
तो उतार लो मुझे ,
अपने पलकों की छाँव से।-
🧏 - A colourful black 🖤💗🖤
💜The miracle is another name for a hard effort.💜
I fall again into a depth of despair
Am I this hard to love
This thought echoes again
Now I don't even feel anything,
Not love nor pain,
It just accepts all allegations,
What you think, what you say
You say you love me
But I'm not able to feel.
You say you understand me,
Then why I'm in despair?
Here are my thoughts and love desperate to be seen,
But why do I need to explain everything?-
सुन रहे हो,
ये बोल वो मेरे तरफ मुर,
सवाल भरी निगाहों से,
सवाल करती।
और मैं जो तब से ,
चोरी से उसकी जुल्फों में,
खुद को समेट रहा था।
एक पल में, ये सालों की चोरी,
आज पकड़ी गई।
फिर से दिल की बात दिल में रह गई,
कैसे समझाऊं उसे,
वो आज भी चाँद गगन की,
मैं वो चकोर जो ये कह ना सका।
-
Tried again to pick up the pieces,
Hoping love would be the cure,
Thought it'd fix everything, and make me smile.
But love ain't a magic pill, you know?
and The scars were still there,
love just showed me
What I never realized before.
The pain got worse,
feeling all hollow,
Words don't mean a thing anymore,
Just want to see someone try.
All I get is let down, again and again.
But a tiny spark of hope is still there.
-
Everyone give advice about,
25 ki ho gayi hai ,
Abhi hi sahi time hai,
Shadi kar le.-
कुछ सवाल लिखने थे,
कुछ जवाब लिखने थे,
मुझे जिंदगी से कई हिसाब लेने थे।
माना दिया मौका जिंदगी ,
तेरे हर ख्याल को।
हर बार सब हर किसी की बाहों में,
दाव पेंच खेल जिस्म को नीलाम कर,
मैंने लूटा दिया खुद को ,
दूसरों को मुस्कुराहट में।
अब पूछता है दिल ओ दिमाग मुझ से,
क्या पा लिया तूने विष का घुट पी कर।
-
वो दूर भी होता गया,
उसकी कविताओं में,
जिक्र किसी और का होता रहा।
समझ इतनी सी थी उनकी,
की खबर उनको भी ना था,
किसी और की मुहब्बत,
किसी और पर लुटाए जा रहे,
नाम बदल वो एहसास ना बदल पाए,
और इधर एक तरफा,
इश्क लिए हम सपने सजाते रहे।
दिल को डर हर पल है यहांं,
कहीं एक दिन उनको,
होश ना आ जाए कहीं।
की समेट खुद की दुनियां वो,
सच में दूर चले जाए ना कहीं।
-
कितनी बार हमने रोका है खुद को,
की खबर न हो हाल ए दिल हमारा।
और ,हर बार तुम ये कोशिश बेकार कर जाते हो,
क्यों छू हमें अपनी नजरों से हर बार,
हमें हमसे ही पराया कर जाते हो।-
खो जाती हैं,
कभी इश्क की गहराइयों में,
तो कभी बेवफा की बाहों में,
तो कभी जिंदगी,
की मजबूरियों में,
जकड़ के रह जाती है
इश्क की कहानियाँ,
अक्सर खो जाती हैं।
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वो बीतें लम्हों की करवाहटें।
रह गए हैं कुछ जख्म यहाँ,
सूखे फूल के अस्तिव सा।
डग मग डग मग होती ये कश्ती।
हमको ले जायेगी कहाँ।
मुरझाई यादों से दूर,
बिखरे खाबों से दूर,
ये शहर है सावन सा,
नई यादों के आशियाने सा।
ले चल मुझे तू वह ले चल,
मुरझाई इन यादों से दूर।-