तुझसे दूरी बढ़ा रहा हूं ये मेरी चाहत नहीं मेरी मजबूरी हैं, कुछ ख्वाहिशें पूरी हो गई कुछ अभी भी अधूरी है, जाना; तुम मेरे लक्ष्य का एक अहम हिस्सा हो, लेकिन हमारा इश्क मुकम्मल होने के लिए पढ़ाई भी तो जरुरी है !!
खूब पढ़ने का शौक़ पाली हुई लड़की को पढ़ाया नहीं गया और ब्याह दी गई किसी गंवार के घर ... आज भी उसके अंदर लालच है। किसी के पैसो का नहीं ना ही सुन्दर कपड़ों का ना ही किसी आलीशान महल का.... ..... केवल लालच है तो पढ़ने का... आज भी ललचाई निगाहों से देखती है किताबों को... बसतों को... स्कूल जाते बच्चों को... किसी पढ़ते को.... स्कूल को.... कागज़ कलम को....
"जब एक युवक किसी युवती के प्यार में पूर्णतः या आंशिक रूप से डूबता है, तो उसको पढ़ाई में कमी का आभास होता है। आशिक़ी के कारण पढ़ाई में आई यह आभासी कमी युवती से निरंतर बढ़ते प्यार के बराबर होती है।"