तुम्हें मर्ज लिखूं, कि वब़ा लिखूं
कि करोना कि, तूझे दवा लिखूं,
प्यार लिखूं कि मां कि बहु लिखूं,
सोच रहा हूं कि, तेरी वफ़ा लिखूं,
मोहब्बत लिखूं कि गुमनाम लिखूं
फिर से तेरा एक दफा़ नाम लिखूं,
तेरे ख्वाब लिखूं, कि ख्याल लिखूं
कि तेरे दिए जख्म का हिसाब लिखूं,
आज अंत लिखूं, कि आगाज लिखूं
बता तेरा हुस्न लिखूं, कि चांद लिखूं,
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Defence personnel 🇮🇳
MS Dhoni 💞
08 Sep 🎂
Achievement; Republic Day Parade 2020
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पूरे बालों को बांध कर जुड़े मे
दो चार लटे संवारना भूल जाती है,
नादान बालिका चूम कर माथे को
मेरे होंठों को चूमना भूल जाती है,
वह जब भी लगती है गले से मेरे
वापस अपने घर जाना भूल जाती है,
बड़ा ही सख्त मिजाज है उसका
देख कर मुझे गुस्सा होना भूल जाती है,
उसका यूं साड़ी पहनना पसंद हैं मुझे
लेकिन मनपसंद बिंदी लगाना भूल जाती है...
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फिर दरमियाने-इश्क में कुछ यूं हुआ
पहले गलतफहमियां हुई और फिर हमारी राहे जुदा हो गई,
जो कभी बसते थे दिल-ओ-दिमाग में
अब तो उनकी यादें दिल के एक कोने में सिमट के रह गई!
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अब मुझे मेरा ही ख्याल नहीं रहता
कैसे हों, खाना खाए ये सवाल नहीं रहता,
गुजरी थी चंद रातें बहुत ही हसीन
अब मैं रात को होसो हवास में नहीं रहता,
जिस चेहरे पर फिदा हो गये थे हम
अब मैं उस शख्स का दिदार नहीं करता,
तेरे बग़ैर गुजरता नहीं था एक पल
जाना;अब तो तूझे मैं याद भी नहीं करता,
जिस गली में आना-जाना था मेरा
अब तो भूल कर भी वहां से नहीं गुजरता,
जग जाता था तेरे एक msg मात्र से
अब तो जाना मैं alarm से भी नहीं जगता..
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हर शाम तपता सूरज भी अस्त होता है
हरा-भरा वन भी एक दिन जर्जर होता है,
किसने कहा आशिक मरते नहीं यहां
उनका भी इश्क में बहुत बुरा हश्र होता है,
अगर मिला खुदा मुझसे, तो जरूर पुछूंगा
अच्छे लोगों के साथ ही यहां बुरा क्यूं होता है,
दिन में तो तबियत ठीक सी रहती है
रात में ही बेवजह सर दर्द क्यूं होता है,
कर देता तुझको रुखसत अपनी यादों से
यार लेकिन तुझको देखने का मेरा भी मन होता है..— % &-
तेरी सादगी, तेरा मिजाज अच्छा है
तेरी मुस्कुराहट, तेरा झुमका अच्छा है,
तूझे देखते ही तूझमे गुम हो जाना था
जाना; मेरा ये ख्वाब अच्छा है, ख्याल अच्छा है..— % &-
तूझे यहां ढूंढता हूं, तूझे वहां ढूंढता हूं
अब कैसे बताऊं कहां- कहां ढूंढता हूं,
मस्जिद में ढूंढता हूं, मंदिर में ढूंढता हूं
हर शहर हर गली नुक्कड़ में ढूंढता हूं,
जंगलों में ढूंढता हूं, नदियों में ढूंढता हूं
हर पत्ते, हर विरान शाख पर ढूंढता हूं,
बारीश में ढूंढता हूं, सर्दियों में ढूंढता हूं
हर मर्तबा अलग-अलग जगह ढूंढता हूं,
हकीकत में ढूंढता हूं, ख्वाब में ढूंढता हूं
मैं तूझे अपनी पुरानी डायरी में ढूंढता हूं,
जाना; अब कैसे समझाऊं इस दिल को
कि खो कर मैं तूझे,हर जगह क्यूं ढूंढता हूं....
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आ बैठ मेरे पास
मेरे हाथों में अपना हाथ रख,
नजर से नजर मिला
फिर से तू सुलझा
उलझने मेरी अपने बालों से,
प्यार भरी बातें कर
सटा कर खुद के गाल
मेरे गालो से,
रख तू कन्धे पर सर मेरे
मेरे बाजू को दोनों हाथो
से पकड़,
मुझ पर तू हक जमा
चूम मेरे माथे को
मेरे जज़्बातों को समझ
और मुझे सीने से लगा!
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इश्क-विश्क बोल कर मुझे लुभाना नहीं आता
गुलाब देकर मुझे लड़की को पटाना नहीं आता,
मैं क्या ही करूं तारिफ उसकी खूबसूरती का
मुझे उसके बालों में गजरा लगाना नहीं आता,
बे झिझक होकर चूम लेता हूं उसके माथे को
प्यार जताने का कोई दूसरा तरीका नहीं आता,
बुला लेता हूं जाना, बीवी, महबूबा बोल कर
कमबख्त मुझे उसे नाम से बुलाना नहीं आता,
मना लेता हूं उसके हाथों पर अपना हाथ कर
बेवजह डांट कर उसे, मुझे रुलाना नहीं आता,
हां, पसंद है मुझे खीर और आलू का पराठा
अफसोस; कि उसे खाना बनाना नहीं आता!
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कुछ हालात, कुछ मजबूरियों ने रोक रखा है
वरना हम तो कल भी जिद्दी थे और आज भी है,
शायद थोड़ी देर रुकते तो देख पाते मेरा दर्द
तूझसे मोहब्बत कल भी थी और आज भी है,
रोज दस्तक देती है तेरी यादें रात के अंधेरे में
दिल में तेरी जगह कल भी थी और आज भी है,
तेरे साथ हर वक्त हम सलीके से पेश आये थे
वरना ऐब तो मुझमें कल भी था और आज भी है,
छोड़ कर तेरा यूं चले जाना मुझे रास नहीं आया
तू कल भी मां की छोटी बहू थी और आज भी है,
अगर याद कभी मेरी आये तो चले आना वापस
मुझे तेरा इंतज़ार कल भी था और आज भी है!
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