उसकी मुट्ठी में बन्द है नफ़रत
अपनी बहादुरी का एलान नहीं किया,
कल तक जो थी वो
आज वो कोई ओर है।
उसकी दोनो जांघों के बीच जो हुआ
उससे मचा दुनियां में शोर है।
ये बात वो किससे कहती की
जब चाहे आता नोचता,झकझोरता
और चला जाता है।
अपना दर्द बयां कैसे करें
बिलख तड़प,खीज कर रह जाती
कुछ समझ नही आता है।
सात साल की बच्ची है,"ज़नाब"
उसे समझने में थोड़ा वक़्त लगेगा।
अभी वो खुद से लड़ लड़ हार रही है
जब वो खुद से जीतेगी।
तब दुनियां में असली कोहराम मचेगा।-
एक मेरा प्यारा सा दिल,
जो कभी तुमसे नफरत नही करता..
एक प्यारी सी तुम्हारी मुस्कान,
जो कभी फीकी नही पड़ती..
एक मेरे प्यार का एहसास
जो कभी कम नही होता...!-
इतनी नफ़रत करोगी तो मुमकिन है कि मैं मर ही जाऊँ,
कि गहरे ज़ख्मों में इंसान कहाँ जिंदा रहता है...!-
गर नफ़रत ही थी मंज़िल,तो ये इश्क़ किस लिए
तुझे औरों सा बनना था तो फ़िर ये पर्दा किस लिए..!-
तुम्हारी मोहब्बत के बाद का है ये हश्र जानां,
कि नफ़रतें ही अब मुझे लगती है सिर्फ सच्ची ।-
ये जो मेरा मुस्कुराना है,
मेरी नफ़रतों में जो लिहाज़ बाकी है उसी का नजराना है !!
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♥️
'सोने के कंगन'
क्या मिल गए
कि अब
'कांच की चूड़ियों'
से
नफ़रत
हो गयी है
उन्हें !!!
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मैं अब अकेला कहाँ हूँ।
मेरे भीतर भी दो अलग किरदार है।
दोनों एक दूसरे से बेइंतहा नफ़रत करते है।-
तुम्हारे ज़ख्मों ने ही तो जिंदा रखा हुआ हैं मुझे अब तक,
कि शायद लौट आओ वापस तुम बनकर मरहम...!-
प्रेम का लिबास ओढ़ा है इस दिल ने,
नफ़रत अगर पास भी आयी, तो
प्रेम के रंग में रंगने पर मजबूर हो जाएगी।-