QUOTES ON #निशा

#निशा quotes

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18 APR 2019 AT 6:36

निशा निर्मम निथर गई
भ्रमित भोर भागती अाई
नियमित न्याय जगत का
दोहराने दिनकर संग लाई

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14 MAR 2020 AT 0:01

कुछ लोग एक अलग ही level पे ज़िंदगी जी रहे होते है,
उनसे कोई मोहब्बत करता है तो भी उन्हें फर्क नहीं पड़ता,
उनसे कोई नफरत करता है तो भी उनकों रद्दि भर फर्क नहीं पड़ता....
क्योंकी वो जिस नज़रिये से दुनिया को देखते है,
उनको दुनिया बिल्कुल वैसी ही नज़र आती है,
बिल्कुल इस शाँत रात्री जैसी,
जिनको इस निशा के अंत से कोई दुख नहीं
बल्कि मन में कल के सूरज के आगमन के लिये एक उत्सुकता है....

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17 MAY 2020 AT 4:22

निशा निवेदन करता हूं
यूं ना अत्याचार करो
अभी-अभी तो आई है
कृपया फिर से अंधकार करो

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14 NOV 2017 AT 20:23

मेरी सोच को भी थोड़ा आराम मिल जाएं |
तुम कुछ ऐसी खता कर दो
हमारी अधूरी कहानी को
प्यार का निशा मिल जाएं |

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27 MAR 2018 AT 19:26

निशा का नशा है
या नशा ही निशा है
रास्ते खो गये हैं
भटकी हुई दिशा है

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24 NOV 2020 AT 17:45

&"चांद-चांदनी और निशा"!&
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मुझे पसंद है चांदनी,
पर चांद के बिना
उसका अस्तित्व ही क्या..!?
उससे भी प्यारी
लगती है निशा...,
जिसके आते ही
चमक उठता है चांद...
छा जाता है आसमान में
बिखरने को अपना सौंदर्य!
हां ..,,
निशा के बिना चांद का
भला क्या अस्तित्व...?

(शेष अनुशीर्षक में )

"श्वेता दिवेदी"

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6 JUN 2019 AT 22:02

संग उसके चारों दिशा
ऊषा काल,काली निशा
प्रेम पथिक
देखो बढ़ चला!

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27 FEB 2022 AT 13:12

जो कल तक हँसता,मुस्कराता था साथ मेरे
आज उसका निशा तक नही मिला जमीं पर..

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3 NOV 2018 AT 6:17

दीप प्रीत का क्यों किया प्रज्ज्वलित
प्रियतम, तम मुझे प्रिय है।
ये निशा तेरे नयनों के
काजल सम मुझे प्रिय है।

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9 JUL 2021 AT 11:22

हे निशा! तुम्हारे आँचल में है अमृत धारा...

पूर्ण दिवस की दौड़-धूप से आहत जन-जन,
भाँति-भाँति के अवसादों से क्लांत हुआ तन।
उगें दिवाकर से और दिनकर से ढल जाते,
सब दिनकर को तुम प्रदान करो निद्रा धन।
जैसे जाते हरि शरण हारे शरणागत,
उन हारे शरणागत को तुम शरण लगाओ।
हे निशा! तुम्हारे आँचल में है अमृत धारा,
मूर्छित प्राणी-तन में जीवन दीप जलाओ।

सकल जीव-आत्मा तुझसे नवचेतन पातीं,
और चेतना त्याग लीन तुझमें हो जातीं।
कभी नहाती जल से, कभी स्वेद से लथपथ,
और कभी श्रम पथ पर अपना रक्त बहातीं।
उच्च श्वास मद्धम-मद्धम हो चली निम्न है,
ले शीश अंक में दिव्य संजीवन भोग लगाओ।
हे निशा! तुम्हारे आँचल में है अमृत धारा,
मूर्छित प्राणी-तन में जीवन दीप जलाओ।

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