संसार की सबसे कठिन
परिस्थिति
नारी होना है।
गर्भ से लेकर मृत्यु तक।
नारी जीवन में केवल समस्या ही है
केवल दुःख है।
ना इसका कोई कारण है और ना
ही निवारण।
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दूसरों को दोष मत दो
दोषी तो हम खुद कहलाते हैं
अपने तो कभी भगवान् की नजरों में
कभी कभी भगवान् को भी दोष दे जाते हैैं
अपने हालातों का जिम्मेदार उन्हें ठहरा जाते हैं
वो भी हक्के बक्के देखते रह जाते हैं
मुख से कुछ बोलते नहीं
दोषों का निवारण कर जाते हैं
तब हम उन्हीं को धन्यवाद कर जाते हैं
भगवान भी हमें समझा जाते हैं
दूसरों को दोष मत दो
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कोविद
पहले भी बदलते थे मौसम
होता था ज्वर,जुकाम, सरदर्द
आँखें होती थी लाल
पेट में भी उठती थी तरंगें
सबका हो जाता था समाधान
आज क्यों कुपित है भगवन
होता नहीं निवारण
है ये महामारी या दैवी प्रकोप
जो भी है भगवन,करो इसका निवारण
हम सब हैं तेरी शरण में
करो जगत कल्याण।-
मेरे दर्द का
कारण भी मैं
निवारण भी मैं
फिर क्यूं करूं
किसी और
पर जाहिर मैं-
अब तो मुस्कुराना भी अजीब लगता हैं 'साहब'
ना जाने मेरी वजह से कितने चेहरे उदास बैठे हैं-
हर परेशानी का हसके सामना करना
और ये जरूर सोचना के
"आज तक क्या आसानिसे हूवा है जो ये होने वाला हैं 😂😂 !"-
राम है तू, और रावण भी तू ही
अपने काल का, है कारण भी तू ही
प्रेम, ज्ञान, करुणा से भरा मानव है तू
तो पल पल चेहरे बदलता दानव भी तू ही
सोच कर जिसको यूँ घबराता है तू
मन की गिरहों का, निवारण भी तू ही-
आँखों में ये जो अश्क़ है।
हुई मेरी ये जो शिकस्त है।।
कारण हो तुम।
निवारण भी हो तुम।।-