Himangini Thakur   (हिमा)
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Joined 11 May 2020


Joined 11 May 2020
18 OCT 2023 AT 20:29

जिनके लिए हम सोचते हैं
अक्सर ऐसा होता है
जिनके लिए हम सोचते हैं
वो हमारे बारे में बिल्कुल
भी नहीं सोचते हैं
ना ही हमें ऐहमियत देते हैं।
ऐ दुनिया ऐसी ही मतलबी है
जिनके लिए आप जान लुटाते हो
वो आप को समझ ही नहीं पाते हैं।

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11 OCT 2023 AT 19:49

ऊब जाता है मन
जिंदगी के झमेलों से
जीवन में इतने उतार-चढाव है
कि थक जाता है ये मन
कभी गरीबी, कभी बीमारी
यही है दुनिया दारी
ये मन बड़ा चंचल है
कभी तो सब समझ जाता है
कभी समझने को तैयार नहीं
परिणाम स्वरूप ऊब जाता है मन।

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3 OCT 2023 AT 22:47

हकीकत जानते हैं हम
जानते हैं हम,हमें मन की
गहराइयों से
उलफते आलम है कि
जुबां से ब्याँ नहीं पाते
जब भी मन के आइने में
झांकते हैं हम अंदर छिपी
बुराइयां हो या अच्छाइयां
साफ-साफ देख पाते हैं हम
बस एक धूधंली सी पट्टी
आँखों पर पड़ जाती है।

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27 SEP 2023 AT 18:56

छुपा कर क्या करोगे
अपने दिले जख्म को
जख्म यदि छुपा भी लोगे
आँखें सब कुछ ब्याँ कर देगी
छुपा कर क्या करोगे
र्ददे दिल की कहानी
जुबां ब्याँ करे न करे
आँखे सब ब्याँ कर देगी।

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25 SEP 2023 AT 22:00

मन में कई सवाल थे
उनका कोई जबाब नहीं था
सवाल भी मन में ही थे
जबाब भी मन ही ढूंढ रहा था
रिश्तों की गांठें बड़ी उलझी सी
प्रतीत हो रही थी
मन उसी का जबाब ढूंढ रहा था
जो कि मिला ही नहीं।

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22 SEP 2023 AT 14:59

देखो तो अवसर ही अवसर है
बस इसे समझने की जरूरत है
अवसर तो हमें मिलता जरूर है
बस हमारी आँखें उसे देख नहीं पाती
मन उसे महसूस नहीं कर पाता
मिले हुए अवसर को हम कभी
नजरअंदाज भी कर देते हैं।

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13 SEP 2023 AT 21:58

रात अधूरी रह जाती है
तेरी बांहों के बिना
रात अधूरी रह जाती है
तेरे आगोश के बिना
सितारों की चमक बिना
रात अधूरी रह जाती है।

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13 SEP 2023 AT 21:37

तबाही क्या होती है
ये दिल वालों से पूछो
जिसने प्यार तो किया
मगर सब कुछ खो दिया
जिसने पाकर खोया है
उससे पूछो तबाही क्या होती है
साहिल से पूछो तबाही क्या होती है
जिसे नहीं मिलता है किनारा।

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11 SEP 2023 AT 21:08

बात-बात पर बुरा मानना
हसीनाओं की फिदरत होती है
होता है प्यार में रुठना मनाना
कभी तो मान जाती है
कभी इठलाती बलखाती हुई
चली जाती है।

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10 SEP 2023 AT 19:46

तुम्हें नजर नहीं आता
जो जख्म तुमने दिए
विरान पड़ा ये आशियाना है
नहीं है हमारे सर बुजुर्गों का हाथ
ना ही है बच्चों में संस्कार
ना ही है धर्म का ज्ञान
ना ही है दादी की कहानियां
नाही दादा का दुलार-प्यार
ना ही उनके कंधे हैं ना ही
थामने वाले हाथ।

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