'रिश्वत' और 'भ्रष्टाचार' का दूसरा नाम :- "निजीकरण"
-
जब कोई "तानाशाह" आता है सत्ता में तो,
कम्पनी,कारखानों के "निजीकरण" से पहले
करता है निजीकरण "जनता के विश्वास" का,
वो विश्वास इतना "प्रगाढ़" होता है कि
प्रजा उसे "सरकार" कम
"खुदा" अधिक मानने लगती है.!!!!
:--स्तुति
-
अंधे बन के इस बस्ती में घूम रहे हो सब मस्ती में
अपनी विरासत मटियामेट कर रहा कोई सस्ती में।
अंधभक्त बने लगे रहो तुमसब अपने घरगिरस्ती में
अधीकार तुम्हारे छीनती गई उनके ही बंदोबस्ती में।
क्यों दिखता नहीं छेद जो बन गई हैं इस कस्ती में
यूँ मौन बने कब तक रहोगे तू उनके हकपरस्ती में।
भावना में बहके जब तक डूबते रहोगे तंगदस्ती में
लुटता रहेगा ऐसे ही किसी खास के बुतपरस्ती में।-
तुम्हारे हाथों में है साहब,
चाहे तो सब कुछ निजी हाथों में सौंप दो
हम गरीबों की थाली से रोटी,
चाहे तो आंखों से सारे सपने नौंच दो
-
50-60 की उम्र में नौकरी हमारी बन्द हो तो रिटायरमेंट नेताओ का भी होना चाहिए ऐसा हो तो मज़ा आजायेगी।
सबसे पहला निजीकरण राजनीति का होना चाहिए ?-
qकभी कभी लगता है
पूरी ज़िंदगी और ऊर्जा लगाकर
माता पिता की पूँजी गंवाकर
इतनी डिग्रियां कमाई
इक़ उम्र गंवाई
बच्चों को तरसाया
घर बर्बाद किया
आँखें ख़राब की
सेहत बर्बाद की
इन सबके एवज में
मिलती जब मुट्ठी भर
तनख़्वाह
तो लगता डिग्रियों
को जलाकर
उसमें बनाई जाए चाय
और लगाया जाए
मोमोज़ का ठेला
(शेष अनुशीर्षक में)-
उत्तर प्रदेश में विश्व की पहली हड़ताल है,
जो उल्टा आम जनता को परेशान,
करने के लिए की जा रही है।
दम है तो सरकारी दफ्तरों की लाइट काटो,
आदत हो गई है तुमको फ्री की खाने की। निजीकरण पर डरपोक बिजली विभाग।-
दिन रात जो "आत्मनिर्भर भारत" का नारा जप रहें हैं
वों हीं नेता आजकल पूंजीपतियों को
एक के बाद एक देश की सारी संपत्तियां बेच रहे हैं-