सुना है नब्ज काटने पड़ते हैं आजकल आशिकों को,
चाहे इश्क़ साबित करना हो या दर्द से उबरना हो।-
तेरी हर बात मुझसे वाबस्ता है ऐसे
ज़िन्दगी को नब्ज़ की आरज़ू हो जैसे।-
नब्ज़ हमें खूब पता है पर नादान है हम
है वक़्त की पहचान भी पर अंजान हैं हम
रग रग से वाक़िफ़ हम हैं अपने आप के
तुम खैर रहने दो...तुम्हारी कोई बात नहीं
वाक़िफ़ तुम हमसे छोडो ....गर होते अपने आप से भी
तो ये हक़ीक़त होता इत्तेफ़ाक़ ही ।
- rita quote 761-
मंज़िलें राह बगैर मेरी,
मैं सूखे पत्ते सा फ़िलहाल लगता हूँ
टूट के झड़ता भी नहीं,
बरसों का सावन इस दरिया में टिकता भी नहीं,
इस इब्तिदा-ए-सफर में,
ये दिल मेरा बहलता क्यों नहीं,
अब नब्ज़ सा रूक रूक कर फ़िलहाल चलता हूँ
मैं बेचैन दर्द सा- बेकार लगता हूँ!!!-
ज़ख्म ये सारे सब्ज़ हो गये
जब वो हमारी नब्ज़ हो गये
लिखना तो था बहुत कुछ हमें
गुमशुदा मगर सारे लफ़्ज़ हो गये-
उस शोख हसीना की नब्ज़ को जो टटोला हमने,
शहर भर के दीवानों की धड़कने बरामद हुईं-
कुछ तो नशा हैं तेरी बातों का जो
तुझ को न सुनू तो नब्ज़ रुक रुक के चलती हैं-
तुम्हारा ही नाम भरा है,
मेरी नब्ज़ की गहराइयों तक माना....
थोडा नाम तुम अपनी नब्ज़ मे भी बहने दो ना...
पाना चाहती हुँ मैं खुद को वापस
खुदा के लिए मुझे अकेला रहने दो ना....-
सब यहाँ बस ताक में हैं, कोई तो कमज़ोर नब्ज़ मिल जाए..
फिर मौके पर बिसात बिछेंगी, दाव पर चाहें अब जान लग जाए..!-