'धारा' लगती नही कोई जिसपर
एक भरोसे का 'खून' होता है-
वो पथ क्या पथिक कुशलता क्या,
जिस पथ में बिखरे शूल न हों..
नाविक की धैर्य कुशलता क्या,
जब धाराएं प्रतिकूल न हों..-
पानी की चादर, जलधाराओं के ताने-बाने, चट्टानों का करघा ! ऐसी चादर तो बस नर्मदा ही बुन सकती है और ऐसी चादर तो बस धरती ही ओढ़ सकती है।
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तू गंगा सी बहती धारा,मैं किसी घाट का किनारा
तू मेरे महादेव की दुलारी,मैं अपने महादेव का पुजारी ❣-
जब सदविचार
के संस्पर्श से
ढह गयी चट्टान
मेरे प्रश्नों की, संशयों की,
दुविधा की, उलझनों की
तब बहने लगीं अविरत
सहस्रों धाराएं
जिज्ञासाओं की
मिलने समाधान से
......जैसे मिलते हैं
अविचल पहाड़ नदियों से
नदियां अपार समुद्र से
समुद्र व्यापक आकाश से
आकाश "दिव्य प्रकाश" से !!!-
तुम्हारी ज़िद, तुम्हारे उसूल, तुम्हारे नियम,
कौन जानें कौनसे संविधान की धारा हो तुम! ♥️-
वो बहती नदिया की धारा हमें पत्थर कह गए
हम डूबे ही रहे इश्क़ में वो बस छूकर बह गए !!
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धारा के साथ तो मुर्दे बहते हैं।
ज़िंदा धारा के विपरीत तैरते हैं।-
चाहते हो गर, अपनी किस्मत बदलना
कम्फर्ट ज़ोन से होगा निकलना
मत दौड़ो तुम दुनिया की रेस में
धारा के विपरीत होगा तुम्हें चलना-