मेरी यादों के आशियाने में सदियों से बसते आ रहे हो
तुम इतना मुस्कुरा रहे हो मेरी आँखों से बहते जा रहे हो !
बस तुम्हें सोचने भर से मुसलसल साँसें चलती रहती हैं
पिघलता नहीं जो पत्थर कैसे उसमे धड़कते जा रहे हो !
शून्य में खोजती निगाहें एक तस्वीर शीतल चाँदनी की
कल्पनाओं के आसमान में बादलों में उभरते जा रहे हो !
सोया सोया है हर अंग बदमाश ख़्याल जागते रहते हैं
ऊँघती झपकियों के सिलसिलों में भटकते जा रहे हो !
इन हवाओं की नमी से पूछता हूँ अहसास तेरी छुअन का
आग इश्क़ की तेज़ है राख़ में भी भड़कते जा रहे हो !
खिले गुलों की महक की उम्र बस कुछ लम्हों की मोहताज
पन्नों में बन्द गुलाब स्याही बन ग़ज़लों में बिखरते जा रहे हो !!
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