मर्ज-ए-इश्क मुझको जकड़े हुए.....दर्द ये ना मिटने वाले...।
धड़कने मेरी यकायक तेज होने लगी...लगा लौट आए है जाने वाले...।।
इत्तेफ़ाक़ से वो ही मेरे सामने आ गए....।
मुसलसल देख मुस्कुराने लगे वो....एक अरसे तक मुझको रुलाने वाले..।।
धड़कने मेरी मचलने लगी,दिल तड़प रहा,दर्द रोने लगे....।
आए फ़िर वो दिन याद.....साथ बिताने वाले....।।
मै करती क्या??उनसे कहती क्या??मानो लब सिले से थे..।
उभरे ज़ख्मों ने कहाँ...सुनो ये वही है तुम्हें तन्हा छोड़ जाने वाले..।।
यूँ ही ना भूलना कितनी रातें रो कर बिताई "ज़ोया" तुमने...।
तब ना पोंछ सके ये आँसू.. ए-दिल ज़रा पूछो तो तब कहाँ थे ये चाहने वाले।।
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तुम्हे भूलने की तमाम कोशिशें कर लेती हूँ
लेकिन, दिल की हर एक धड़कन में सिर्फ तुम्हें ही पाती हूँ-
पास आ के नज़रें मिलाते हो,
ना इज़हार करते हो
और ना ही इंकार करते हो,
बस यूँ ही धड़कन तेजी से बढ़ाते हो..!-
यूं तेरा मुझे ऐसे देख कर पलट जाना
होंठों को सिए आंखों से सब कह जाना
मोहब्बत के तेरी पैग़ाम-ए-इश्क में
हमारी धड़कनों को अपने नाम कर जाना।।
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दिल को पढ़कर ये कैसी हाल-ए-दिल सुनने कि ख्वाहिश.....
बेकरार दिल को बेकरार करने कि ये कैसी उनकी आजमाईश.....-
मैं गिटार हूं और तुम उसकी धुन..
मेरे दिल की सदा कह रही है..
कभी मेरी धड़कने भी तो सुन..-
काश! किसी दुआ, मन्नतों की
मैं वो ताबीज़ होती।
तेरे दिल में ना सही तेरे धड़कनों
के नज़दीक होती।।-
ख्वाहिशें सब दफ़न कर दी,
डोरी तोड़ दी मैंने ।
उसने कहा मुझे छोड़ दो,
मोहब्बत, छोड़ दी मैंने ।
©drVats
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आम का अचार खाकर जब वो अपनी एक आंख दबाती थी,
यकीन मानो उसकी वो शकल देखकर मेरी धड़कन रूक जाती थी।-