ऋतू आ रही है कार्तिक मास की
देखो कितना सुहाना मौसम हुआ है
हुए आनन्दित सभी धरती गगन में
मिट गई अशुभता फिर देखो जग अब रौशन हुआ है
हो गई आरम्भ खुशहाल शुभ नवरात्र की
देखो मेरी प्यारी माता का शुभआगमन हुआ है
हैं सुंदर स्वरूपा मेरी गौरीशंकर जी के
आई हैं दुर्गा माता देखो शुभता का सुंदर प्रदर्शन हुआ है-
कहते हैं हर स्त्री में देवी का वास है,
इसलिये तो हर स्त्री बहुत खास है,
किसी स्त्री को अबला और बेबस
समझने की भूल कभी न करना,
अपने कुकर्मों का परिणाम सोच
कर ज़रूर डरना।
कोई भी स्त्री लाचार नहीं,
उसकी अवहेलना का दुस्साहस
कभी करना नहीं,
हर स्त्री है माँ दुर्गा का अवतार,
वो पूजनीय है उनका सम्मान
करना ही तुम्हारा परम धर्म है
कर लो ये स्वीकार।-
विनती
हाथ गंदे जब हुए हमने क्षण में धो लिया
मन जो मैला हो रहा उसका अब करू मैं क्या?
बुद्धि दे ओ मेरी माँ, विनती और करू मैं क्या?
अंबे तुझसे करें दुआ ! हे जगदम्बे करो दया !
सुख के दिन जब रहे हमने खुल के जी लिया
दुःख के बादल छा रहे उसका अब करू मैं क्या?
भक्ति दे ओ मेरी माँ विनती और करू मैं क्या?
अंबे तुझसे करें दुआ ! हे जगदम्बे करो दया !
सूर्य उदित जब तक रहा ऊँचा मस्तक रहा
जो अँधेरा छा रहा उसका अब करू मैं क्या?
शक्ति दे ओ मेरी माँ विनती और करू मैं क्या?
अंबे तुझसे करें दुआ ! हे जगदम्बे करो दया !-
मातृशक्ति का एहसास कराने को,
मां दुर्गा को नारी रूप दिया...
दुर्गा को देवी मान लिया,
औरत को औरत ही रखा गया..-
खुशी आप सबको इतनी मिले
कभी ना हो दुखों का सामना,
यही है हमारी तरफ से
आपको नवरात्रि की शुभकामना…-
ऐसा नहीं है की मैं अंधेरे से डरा ही नहीं
हकीकत तो ये है माँ ने मेरा साथ छोडा़ ही नहीं
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तू दुर्गा है, तू काली है,
कर खप्पर-खड्ग धारी है,
तू आज की बर्बर दुनिया में,
मानवता की रखवाली है,
अपना होकर अपनों पर,
करे ज़ुल्म उसे स्वीकार न तू,
पति होकर भी अत्याचारी हो,
उसको बढ़ के ललकार दे तू,
तू ना दासी है, तू ना अबला है,
तू ना कल की बेचारी नारी है,
स्वयं अधर्मी महिषासुर का,
तू मर्दन करने वाली,
तू जननी है, तू ममता है,
तू भी जीने की अधिकारी है|-
Hello,,
वो लोग जो दुर्गा पूजा का उत्सव बड़ी ही श्रद्धा से कर रहे हैं, 🙏
उन्होनें मूर्ती के अलावा कभी देवी जैसी औरतों और लड़कियो का सम्मान किया है क्या??🤔
नहीं न....
तो फिर ये 9 दिन का दिखावा न करें ।।।।
।। जय माता दी ।।
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मन हर्षित तन गर्वित
नई उष्मा का संचार हुआ
आओ मिलकर जश्न मनाएं
नववर्ष का आगाज हुआ
नव सृजन मधुर कलरव कीर्तन का
चारों और संचार हुआ
वन उपवन में खिले शाख पत्र
नई कलियों का सत्कार हुआ
झूमे गगन धरा संग मस्ती में
मानो बड़ा त्योहार हुआ
देव रमण धरती पर आये
ऐसा गजब चमत्कार हुआ
आओ मिलकर जश्न मनाये
नववर्ष का आगाज हुआ.....
नई प्रेरणा नई उम्मीदें नव ऊर्जा का संचार हुआ
आओ मिलकर जश्न मनाये......
सभी साथियों को नवसंवत्सर एवं नवरात्रों की
हार्दिक शुभकामनाएं
©कुँवर की क़लम से.....
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