,,,, चलो थोड़ा बदलते है
नया साल आ रहा है अब सम्हलते है,,
गुम सा था मेरा आशियांँ,
मुस्कुराहट से उसको खुशीयों में बदलते है,,
कुछ वजह से मैं-- मैं नहीं था,
रूठ लिया, मना लिया और रातों को अकेले " रो "भी लिया बस,,
अब अपने घर के दिएँ रोशन करते हैं
,,, चाहत तो यही है कि इस बार कर दूँ सबकी ख्वाहिशें पूरी
जिन अपनो दर्द मेरे सामनें छलकते हैं ।।
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