QUOTES ON #दुनियाँ

#दुनियाँ quotes

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6 OCT 2021 AT 18:21

पपीहा बरस भर मेघपुष्प को तरसे
और मत्स्य को पानी में हवा की तलब है,
यह जिंदगी है इसमें.. सबको सब मिलता है कहाँ
इस जग में सबकी मुसीवत अलग-अलग है,

काले पंख का कौवा.. उड़े तो छुए आसमान
मयूर पंख हैं अतिसुंदर.. पऱ है छोटी सी उड़ान,
ख्वाबों की ना कोई सीमा.. ख्वाइशों की भी कहाँ कोई हद है
देख मरघट मन सोचे.. मोहः तो यह सारा बेमतलब है,

छाया उतनी ही घनी होगी जितने टहनी पे पत्ते हैं
पऱ दुर्लभः हैं शज़र पीपल के.. सबने आंगन में फ़ूल लगा के रखे हैं,
लोग मन्दिर-मस्ज़िद में बंट गए.. यह तेरा यह मेरा मज़हब है
मैं जाके उसे कहीं क्यूँ पूजूँ.. मुझमें ही तो बसा मेरा रब है..!

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3 OCT 2022 AT 8:51

यह दुनियाँ है... यह जलती है
जख्मों को कुरेद कर मरहम मलती है,
दिल के काफ़िले में यूँ तो अपने हैं सभी
पऱ ग़ैर सी लगती है यह साथ जब चलती है,
पराये तो ख़ैर हक़दार थे लूटने के
यह तो अपना कह-कह कर छलती है,
मन का आईना वोही टूटा फूटा सा है
औऱ यह पल दो पल में चहरे बदलती है,
उफ़्फ़... रह जाता हूँ मैं दौड़कर भी हर बार पीछे
क्यूँ मेरी हर जद्दोजहद साये सी निकलती है,
स्याह से हैं जिनके मन उनकी ही भोर खुशनुमां है यहाँ
अपनी तो सूरज के उदय होते ही साँझ ढ़लती है,
यहाँ जीना इक़ चूक सा हो गया है
औऱ ज़िन्दगी मानो एक बहुत बड़ी ग़लती है,

बंद कर दो खिड़कियों के पर्दे मेरा रोशनी में जी नहीं लगता
ह्र्दय के साफ़ हैं जुगनू... इन्हें दिन में अंधेरे की कमी खलती है!!

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5 OCT 2022 AT 7:22

यह दुनियाँ षडयंत्रों की अयोध्या
ममता मोहः की कैकई बनाये,
यूँ तो सभी "राम" रूप जन्में हैं
पऱ मैं, मेरा ही, क्यूँ बनवास पाए,

सुख के हैं सब भागी "रामा"
दुःख के जंगल कौन अपनाए,
मिथ्या स्वप्न तिलिस्म दिखायें
के मृग सोने का मन भरमाये,
तृष्णा लांघती लक्षमण रेखा
अब इस मन मूर्ख को कौन समझाए,

अब होते नहीं हैं गैरों से युद्ध
अपना ही अपने पे तीर चलाये,
ख़त्म कहाँ होता है अहम का "रावण"
हमने व्यर्थ ही पुतले लाख जलाए..!!

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19 OCT 2021 AT 21:06

कान्हा! दुनियाँ से ठुकराया तेरे दर पे मैं आया हूं,
तुझी पे मैं ऐतबार करूं ये ठान कर मैं आया हूं।
तुम ही मेरी राह हो तुम ही मेरे मंज़िल,
कर दे रौशन इस राह को ये आस लगाए आया हूं,
कान्हा! दुनियाँ से ठुकराया तेरे दर पे मैं आया हूं।

अब तेरी ही राह चलूं ये ठान कर मैं आया हूं,
इबादत करूं मैं तुम्हारी तुम्हारा ही गुनगान करूं,
अपनी पनाह में हमें रखना ये आस लगाए आया हूं,
अब तुझे मैं पा लूं ये ठान कर मैं आया हूं,
कान्हा! दुनियाँ से ठुकराया तेरे दर पे मैं आया हूं।

तुम हो मेरी रौशनी तो अंधेरों से क्या डरना?
तुम हो मेरी ताकत तो मुश्किलों से क्या डरना?
हो जाए कोई गलती तो रहमत की नजर रखना,
बस अंतिम सांस पे तुम्हारा नाम हो ये ठान कर मैं आया हूं,
कान्हा! दुनियाँ से ठुकराया तेरे दर पे मैं आया हूं।

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27 MAY 2019 AT 21:49

मुरीद ना बन किसी का इस भीड़ में,
तू जिसे जितना ख़ास बनायेगा,
वो तुझ से उतनी ही दूर चला जायेगा।।

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26 FEB 2021 AT 21:39

कभी उसने अपने दिल जैसे घर मे बसाया था मुझे,।
कब उसने अपना घर बदल लिया पता भी ना चला।।

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10 MAY 2018 AT 15:51

यूँ ही बदनाम दुनियाँ में, मेरी ख़ातिर न तुम होना,
कोई अफ़साना मेरे नाम का, तुम झूठा ही गढ़ लेना..

गर आ जाए कोई आँसू, मेरी यादों का आंखों में,
वफ़ा की सीपियों में तुम रखा मोती समझ लेना..

वो लम्हे याद आएँ तुमको, मोहब्बत में बिताए जो,
फ़कत दिल्लगी का उनको, नज़ारा ही समझ लेना..

कभी चाहो समझना जो, मेरे जज़्बात को हमदम,
मेरे लिखे हुए अल्फ़ाज़ों को बस दिल से पढ़ लेना..

ज़नाज़े में जो हम निकलें, तुम्हारे दर के आगे से,
मोहब्बत में फ़ना दीवाने का मुक़द्दर ही समझ लेना..

यूँ ही बदनाम दुनियाँ में, मेरी ख़ातिर न तुम होना...

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13 AUG 2021 AT 17:52

आधी दुनिया इसी सच पर चल रही है के किसी
का दिल रखने के लिये झूठ बोला जा सकता है।

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13 OCT 2018 AT 19:24

जीव जगत का
सर्वोत्तम प्राणी
मनुष्य कहलाया
देख रूप इठलाया
तन मन धन पा
खोई मधुर वाणी
ये जाहिर जग जानी
कहे मैं, सर्वोत्तम प्राणी,,,,

बडी अज़ीब हैं दुनियाँ
हमको जबरन थमाया
सन्तुष्टि का इक झुनझुना
कहे जैसा बजे,वैसा गुनगुना
मांगू , रोटी कपडा और मकान
नहीं हैं , पी दारु; उतार थकान
नहीं तो होगा बंद हुक्का पानी
कहे मैं , सर्वोत्तम प्राणी,,,,

...ब्रजेश









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23 MAY 2020 AT 19:32

ख़्वाब बेचिए,
इस से बेहतर तिज़ारत
दुनियाँ में नहीं..!

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