ग़रीबों की ग़रीबी का हवाला दे कर अपनी ग़रीबी दूर कर ली।
जब से उनकी सत्ता की दुकानदारी चल पड़ी।-
मोल-भाव क्या चल रहा है, प्यार-मोहब्बत का
बाजार में आए हो कुछ खरीदारी करोगे क्या?
ये क्या छुपा रखा है अपने इस झोले में तुमने
चुराई हुई चीज की अब दुकानदारी करोगे क्या?
हमें मालूम ना थी जरूरत तुम्हारी, ये पेशा तुम्हारा
दिल हमारा बेचकर खुद से वफादारी करोगे क्या?
कांसा तांबा पीतल कमाना है, क्या मेरे दिल के बदले
हीरे को कौड़ी के भाव तोल कर समझदारी करोगे क्या?-
अब क्या कोई किसी से लगाए दिल
क्यों कोई किसी का लुभाए दिल
वो जो दवा ए दिल बेचते थे
वो खुद दुकान बढ़ाकर चलें गए ।-
ना जुबां में जावेद अख़्तर
ना कलम में गुलज़ार है
मारवाड़ी छोरों हूँ
सिर्फ दुकान और ग़ल्ले से प्यार हैं।
😉😉😉😉-
व्हाट्सएप के स्टेटस पर भी बिक रहा सामान
सोशल मीडिया को भी बना दिया दुकान
जिस-जिस देखा उनके व्हाट्सएप का शोरूम
उनको कर दिया परेशान, कर-कर के फोन
इसके बाद तो आफ़त आन पड़ी
कुछ न कुछ खरीदकर ही अपनी जान बची-
इस अजिब सी बस्ती मे रहकर
दुकानदारी सीख ली है मैंने,
अब अपने दिल कीं बाते भी
जरा नाप तोल कर करती हूँ..-
खेल खिलौने ले जा बाबू,
मुन्ना दिल बहला लेगा।
तेरा मुन्ना खेलेगा तो,
मेरा मुन्ना खा लेगा।
- विजय तिवारी जी-
कुछ लोग क्या ही कमाल के होते है ?
दर्द बेचकर कमा लेते है ?
जिन जज़्बातों के भाव से कुछ लोग टूट जाते है
उन्ही अल्फाजों की दुकानदारी करके अपना पेट पाल लेते है ।
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दुकानदारी तुमसे सीख ली है मैने,,
दिल की बातें भी अब नाप तौल के करती हूं ।-