Rahul Kumar  
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Joined 15 April 2020


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Joined 15 April 2020
12 JUL 2020 AT 7:14

जिंदगी छोटी है चलेगी, तुम जो छोटी सोच रखते हो
ऐसा करो कि मेरी जिंदगी से जाने का एहसान कर दो

अच्छे लोग कम हैं तो क्या हुआ, न्याय सलामत है अभी
ऐ खुदा नेकी करने वालों के नाम ये सारा जहान कर दो

खत्म बुराई की सारी ताकत करनी है, खुद को तैयार कर
इंसानियत फैला दो, ग़मगीन चेहरे पे एक मुस्कान कर दो

एक जुट होकर लड़ना है हमें आजकल के सब राक्षसों से
आसमां से कुछ फ़रिश्ते ज़मीं पे भेजने का ऐलान कर दो

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11 DEC 2021 AT 23:45

जब बातों बातों में तुम
पुछोगी क्या थी वजह
मैं बस इतना कह दूंगा
रोटी को पकने के लिए
जरुरी हो जाती है आग
काम आता है तब चिमटा
जो बचाता है हाथों को
कि तारों को गिना जा सके
क्यूंकि इंसां को तारे पसंद
और तारों को वह आसमां
जिससे बारिश हो सकती
और रोटी कच्ची रह जाती
भूख कोई छोटी वजह तो नहीं

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9 NOV 2021 AT 18:18

बेचैन से थे हम, हर एक चीज़ के पीछे
तब धैर्य रखना सीखाया आपने हमको

राख-सा कहीं बिखरे पड़े थे हम जमीं पे
रौशनी वाला चिराग बनाया आपने हमको

वजह बने खुशियों की, राहत देते हर दर्द से
निभाते हैं दोस्ती कैसे दिखाया आपने हमको

सच क्या है, भम्र क्या है, इस जिंदगी में
कितना कुछ है, हर मर्म बताया आपने हमको

साहस जरूरी है काफ़ी तेरे हर काम के लिए
हां मुझको मुझसे से मिलाया आपने हमको

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13 SEP 2021 AT 0:45

छुपा कर ख्वाब अपने, हम सफ़र को निकले हैं
जेब में चंद सिक्के लेकर हम शहर को निकले हैं

ये पांव जल रहे हैं, शाम का इंतजार हो नहीं पाया
चाहिए कुछ बेहद जरूरी तभी दोपहर को निकले हैं

अब यहां से वहां तक, फिर वहां से कहां तक जायेंगे
सोचा भी नहीं रूक कर, आखिर किधर को निकले हैं

तलाश करते हैं किसी सुकून को जहां तहां बाज़ारों में
जो सुकून छोड़ के हम अपने घर से तेरे घर को निकले हैं

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3 SEP 2021 AT 13:48

इच्छाएं कम है तेरी, इरादे है नेक, तेरे अंदर एक परवाज़ है
वजूद फौलाद सा तेरा, क्या बात है, जब खुद पे खुद को नाज़ है

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29 AUG 2021 AT 23:25

चांद की तलाश में हम, एक तारे बन गए
हमें टूटते देख, उनके सपने सारे बन गए

जब तुम साथ थे, हमें इशारा नहीं हुआ
तुझ से दूर जाने पे, हम तुम्हारे बन गए

याद में तेरे हम अक्सर बनाते हैं तेरी तस्वीर
कोरे कागज से दिल पे तुम ढेर सारे बन गए

अश्क बहते रहे आंखों से, रोका नहीं गया
जुड़ती गयी हर बुंद, झरने फुव्वारे बन गए

ना चाहिए इस दिल को, कोई दूजा तेरे सिवा
अच्छे भले थे पहले, अब इश्क़ जादे बन गए

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29 AUG 2021 AT 0:32

पत्थर पड़े हैं राह पे तो क्या, हासिल तेरा मुकाम होगा जल्द
हौसला मजबूत रखो अपना, सफ़र का अंजाम होगा जल्द

धुप कड़क रहती है काफ़ी, ये दोपहरी जलाती है बदन को
ठंडी हवाएं इंतजार में हैं आने को, देखना शाम होगा जल्द

बहुत बार हारे हुए दिखते हो, लगता है निराश हो बेहद
एक कोशिश और करो, जीत पे तेरा नाम होगा जल्द

कलम उठाओ लिख दो, दूसरों के नाम पे अपनी जिंदगी
खुशी की तलाश में हो, उसका तेरे पास पैगाम होगा जल्द

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10 AUG 2021 AT 0:37

कहीं अंधेरे में नहीं थे हम
पर उजाला काफ़ी भी नहीं था
तुमने ज्योति एक जलायी हम में
जैसा कभी सोचा ही नहीं था
खिलखिला रहें हैं चेहरे
खिलौने मिलें हो जैसे
कैसे हर खेल जान जाते हो
तुम यहां खेलने से पहले
बस चार कदम बढ़ा कर
कोई मंजिल चाहिए इन को
कैसे भूल जाते हैं रास्ता है लम्बा
ख़ुश हो और पा लो
जो राख बन गए हैं
उनको क्या जलाओगे
अंधेरे से उजाले तक
एक पहचान बना पाओगे?

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13 JUN 2021 AT 23:19

हो रही है उथल-पुथल, जीवन के क्षण-क्षण में
और कोई क्या जानेगा, क्या चल रहा मेरे मन में

कुछ पौधे रोपे थे हमने, सोचा था कईयों को जीवन देंगे
आंधी चली भयानक, लगे देखके यहां थे ही नहीं वो जन्में

कीचड़ कीचड़ सब दिखते हैं, लगते हैं थोड़ा थोड़ा मेरे तन में
कमल कह दिया उन-उनको, जहर भरा जिन-जिनके फण में

पलक झपकते ठंड बढ़ा दी कितनी, इस गर्मी के मौसम में
उम्मीद जगा दी नयी, लग पड़े हैं हम भी जीवन परिवर्तन में

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31 MAY 2021 AT 21:34

अभी कल ही की बात थी
जब तुम मेरे साथ थी

दोनों अन्जान थे
आपस में ना कोई पहचान थी

वहां भीड़ थी चारों तरफ
पर तुम चांद सी दिख गई ज़मीं पर

आंख मेरे संभाले नहीं संभले
जैसे चांद को निहारे रात भर

ना जाने कैसे किस्मत मेरे साथ हुई
हम दोनों की फिर अचानक बात हुई

सपनों की चर्चा होने लगी
तुम मोती सी मेरे सोच में पिरोने लगी

तुम्हारी मुस्कां को देख मैं ठहर जाता था
तुम्हारी प्यारी बातों का जब लहर आता था

राह में तुमने अपनी पसंद का ज़िक्र किया
बातों ही बातों में मेरा भी फिक्र किया

बचपन के दिन तुम्हें याद आ गए
इतने करीब तब हम आ गए

फिर तभी वक्त बीत सा गया
अलविदा मुझसे मेरा प्रीत हो गया

चले गए हम दूर कहीं दूसरे शहर
मिले थे जहां, बारिश हुई वहां रात भर

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