ऐसे न देखा करो मुझको यूँ तिरछी निगाहो से
कहीं मैं मर न जाऊँ इन तिरछी नजरों की मार से ।।
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उनके दिलकश मुस्कुराहट की तो बहुत कहानियां सुनी है मैने,
एक हमारे भी नाम हो जाए तो क्या बात है।-
ना श्रृंगार, ना आंखों में काजल लगाती है वो
बंधे बालो में भी बड़ी दिलकश लगती है वो
हासिल ना होगी कभी इस से वाकिफ़ हूँ मैं
फिर भी मेरे सफर की आखरी मंज़िल है वो-
देखा ना करो मुडकर यू ,चलती राहो मे,
मर जाएगे हम तेरी दिलकश निगाहो से ।
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"मोहोब्बत कितनी ही दिलकश क्यों ना हो
फासले ही बया करती है कुर्बत की शिद्दत"।
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ना श्रृंगार, ना आंखों में काजल लगाती है वो
बंधे बालो में भी बड़ी दिलकश लगती है वो
मेरी कोई अहमीय ही नहीं उसके सामने
ना जाने मुझसे क्यों बातें करती है वो
"स्माइली" भेज के झुठी तसल्ली दिलाती है
अपने दर्द छूपाके सिर्फ हँसी ज़ाहिर करती है वो
हासिल न होगी कभी इस से वाकिफ़ हूँ मैं
फिर भी मेरे सफर की आखरी मंज़िल है वो-
दिलकश है तुम्हारा चेहरा जो मेरे जो मेरे दिल को लुभाता है...❤️
हमसे ज्यादा तुम्हे ही पता है,हमे तुमपे कितना प्यार आता है...❤️-
अब कुछ ख्वाहिशों को जेब में रख लिया करती हूँ जनाब,मंजिलों को पाने में खर्चा बहुत है!-
हया से पलकें झुका लेना भी उसका दिलकश था बड़ा
नज़र भर देखा भी ना था की इस दिल को प्यार हो गया-
मेरे दिये, दिलकश नज़ारें ।
तो इस नज़ारें का, क्या करोगें ।।
हाँ तुझे देख, अब आई हंसी ।
तो इस हंसी का, क्या करोगें ।।
तेरे मुताबिक है, हम बेवफ़ा ।
तो इस बेवफ़ा का, क्या करोगें ।।
अब देख लो तुम, हम कब्र में हैं ।
तो इस मुर्दें का, क्या करोगें ।।-