ना वो जीती,
ना मैं हारा...
जंग मोहब्बत की थी,
जिसमे घुट गया दिल बेचारा।-
थोड़ी सुलझी हुई है कुछ उलझन भी है उसमें
सिर्फ मोहब्बत ही नहीं पागलपन भी है उसमें-
कोई बता जाए हाल उसकी तबीयत की
वो कहां है कैसी है उसकी खैरियत..
उसके बगैर दिल का धनी होते हुए भी
हो रही है बेकार
मेरे इश्क की जमी-जयदात और हैसियत..-
लू के थपेड़ों जैसी है ये तेरी मोहब्बत
आज भी तेरे प्यार की गर्माहट ,
मेरे जेहन में बाकी है-
जब मोहब्बत ही नही थी तो मुड़कर क्यों देखा ?
मेरे जहन से कमबख्त ये सवाल नही जाता
मैं क्या करूँ ?
के बहुत गहरे तक उतरे है उसके अहसास मेरे दिल मे
मेरे दिल से उसका ख़्याल नही जाता
मैं क्या करूँ ?-
है अपना दिल तो आवारा
न जाने किस पे आएगा.....
बहुत भोला है बेचारा
न जाने किस पे आएगा......-
सुना है वक्त के साथ तुम भी यू बदलते जा रहे हो,
एक बात पूछता हूं सच बताना,
क्या तुम भी पत्थर दिल होते जा रहे हो...-
❤दिल बेचारा❤
इज़हार करदूँ,या फिर इंकार?
इस दिल की सुकून है तेरी सूरत, सुनले ऐ तलबगार!
तेरी ही वजह से जिंदगी मे छाई है रौनक,
इस दिल को, है बस तेरी ही सनक!
तेरी मुस्कान से, ये हो जाता है खुश,
उतरे जो चेहरा तेरी,ये भी जाए रूस!
केसे केहदूँ साफ साफ मैं ये?
हा, तुम्हीसे इस दिल को मोहब्बत है!
सदियों से है इंतज़ार तुम्हारा....,
तेरे इश्क़ के बिना,ये दिल बेचारा।।❤
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की दिल से तेरी याद इक पल भी न टले
और तेरी याद में दिल बेचारा हर पर जले
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अक्सर इस दिल को वहीं लोग प्यारे लगते है,
जो बेपनाह दर्द भी बहुत प्यार से देकर चले जाते है...-