वो कहानी जो कभी उसने पढ़ी ही नही
वो कहानी मेरी लिखी सबसे बेहतरीन कहानी थी ।
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मेरे लिए प्रेम
मंदिर में बंधे उन धागों की तरह है ,
जो तुम्हारी सलामती के लिए बांधे गए है ।
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सुनो !
कहा हो यार ?
चले आओ के हमने अकेले बनारस देखा है
अस्सी पर कुल्हड़ तोड़े है
अकेले घूमे है BHU की सड़कों पर
कदमों के निशान भी छोड़े है
गंगा आरती में मेरे दांयी ओर बस एक तुम्हारी कमी रही
सब हमसे आगे निकल गए , हमारी निगाहें वही पर थमी रही
काशी के गलियों में हम अकेले भटके है
तेरे जिक्र पर दोस्तो के सामने कई बार अटके है
बनारसी पान भी मैंने अकेले खाया पर वो मिठास नही था
कोई हो रहा था तुम्हारे इंतज़ार में बनारस तुम्हे ये अहसास नही था ।
के सुनो !
जहां हो अब चले आओ , वो बनारस अब भी तुम्हारे इंतजार में है
क्या कहा मेरी बातों में झलकता है बनारस , अरे हम खुद बनारस के प्यार में है !!
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वो पूछते है मुझसे की मोहब्बत कैसी दिखती है ?
कोई उनको "बनारस" शहर घुमाओ यार !!-
दर्द हो या दवा मुझे बेशुमार चाहिए
इश्क़ थोड़ा ही सही पर वफ़ादार चाहिए
और मेरे क़त्ल की ख्वाहिश है तो मरवा दो मुझे
बस एक बात सुनो
मुझे कातिल भी मेरा यार चाहिए-
January
Single Hu Bhai
March
April
May
June
July
August
September
October
November
December
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भोली सी सूरत हाथों में कुल्हड़ दूर खड़े चिल्लाये
चाय चाय!
गरम गरम पिलाए कभी कभी
वो इलायची मिलाये
टपरी में उसकी तुम देखो तो भीड़ नजर आ जाए
भोली सी सूरत हाथों में कुल्हड़ दूर खड़े चिल्लाये
चाय चाय!
चाय नहीं है वो जादु है और कहा क्या जाए
बारिश में सबकी जेहन में आए वो कुल्हड़ की चाय
खतम हुई तो दिल चाहा और एक बार मिल जाए
भोली सी सूरत हाथों में कुल्हड़ दूर खड़े चिल्लाये
चाय चाय!
By Avipsa Rath 💞-