Prashant Singh Rathaur   ('चुलबुल')
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Joined 21 July 2020


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Joined 21 July 2020
5 MAY 2022 AT 21:08



खुशी को सता कर देखा है
हर गम को हँसा कर देखा है
अधूरे हैं अभी भी अरमान
हर रश्म निभा कर देखा है

हर रंग लगा कर देखा है
मीरा-कबीरा से भी यहीं सिखा है
वो भी रंगे थे हम भी रंगे हैं
कृष्ण(काला) के आगे सब रंग फीका है

~प्रशांत

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27 OCT 2021 AT 9:59

..बेशकीमती लब्ज़ कहीं तो जाया करो
आखिर दिल है दिल का हाल बताया करो..

KH@M©SH

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14 AUG 2021 AT 17:53

...कि काश कोई ऐसा तिलिस्म हो जाता
तू ना हो तब भी हमेशा
तेरे होने का एहसास हो जाता..

KH@M©SH

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9 AUG 2021 AT 21:13

बस हमेशा खुश रहना सिखो
गम किसे नही इस जहां में
कोई दिखा जाता है
कोई छुपा के कहता है
कि सबसे खुश हैं हम इस जहां में..

@KH@MOSH

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9 MAY 2021 AT 23:41

यहीं तो जिंदगी है
कभी गम के साए में हम
तो कभी खुशी के प्याले में तुम
कभी तुम पे कोई ढाहे सितम
तो कभी मेरे हिस्से में बहुत सारे गम
मैं समझूं की मैं सबसे तकलीफमंद
कभी तुम समझोगे कि सबसे ज्यादा मेरे गम

ChUlBuL

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19 MAR 2021 AT 15:07

....


माना कि कितना भी ये प्यारा शहर है
मगर गांव में एक छोटा हीं पर हमारा घर है
दूरियों से नही है उलाहना किसी तरह का
दिल है हिंदुस्तानी
प्रेम से भींगोदे हर जमी का शहर भी हमारा घर है
यूं तो कह दें भले हीं शहर की उड़ान अच्छी लगती है
जहां हम वो घर हमारा वो शहर हमारा
मगर सच तो ये है कि
होली-दिवाली अपने गांव की हीं अच्छी लगती है

ChUlBuL



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5 MAR 2021 AT 18:41

एक शाम ऐसी भी होती जिसका सूरज कभी न ढलता
मै रोज़ इसी तरह मुस्कुराता बस ये आज, कल में नहीं बदलता..!!

ChUlBuL

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25 FEB 2021 AT 21:47

मै तोप नहीं हवा का झोंक नहीं
स्नेही हूं मां का कोंख नहीं
हां, हंसता विलखता मै भी हूं
ममता है भरपूर मन में रखता शोक नहीं..!

ChUlBuL

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15 FEB 2021 AT 8:47


दिल में रखोगे या दुआ में याद हमें..
बांधोगे जंजीरों में या उड़ने दोगे
पंछी की तरह आजाद हमें..
ये कैसी उलझन है मन में
फना होकर कहीं
कर दोगे आबाद हमें या वही
बिछड़न देके बर्बाद हमें..

ChUlBuL

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6 FEB 2021 AT 19:30

नजरों की ना बदली है नजर
बस राही आ जा रहे हैं बदलकर
एक मुठ्ठी से थामा हूं
दूजे मुठ्ठी से वक्त रहा है गुजर

ChUlBuL

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