सोमवंशी G 🇮🇳   (praveen singh somvanshi)
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Joined 19 August 2019


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Joined 19 August 2019

दिल ने चाहा था बहुत पास रहने को,
पर डर था कहीं वो भी मुझसा उदास न हो जाए

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वो चाँद है, उसको ज़मीन से क्या जोड़ूँ,
मेरी तन्हाई को वो दूर से भी रोशन करेगा…

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वो दूर है मगर मेरा दिल उनके पास है मगर कहां उन्हें इस बात का एहसास है और दिल में उनकी आहट हर पल यूं लगी रहती है जैसे कि वो हर पल मेरे आस-पास है

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निगाहों में महकता वो चेहरा इक आज भी है तरसता ही रहा मै देखा यार तुझे जब से
और मेरी मोहब्बत में खलल यो मेरे ही दोस्तो ने मचाई शिकायत करू भी तो क्या करू मै मेरे रब से

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ये जो यहां मोहब्बत में हारे दो या चार है ये सारे के सारे तेरे ही यार है
हम अपनी अर्जी लगाए भी तो कहा से लगाए गांव से लेकर शहर तक सब तेरे ही तो तरफदार है

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नहीं होता किसी का इश्क़ कोई आखिरी यहां हर कोई बेहतर की तलाश में होता है
और तुम मुझे जाया समझकर यू ही छोड़ न देना जाना यहां बेकार से बेकार आदमी भी किसी न किसी काम का होता है

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बस यू ही मेरी जिंदगी में उदास रहने की वजह बनी रहना 🚬
तुम खुश तो न थी मेरे साथ हो सके तो मेरे बाद तुम हसीं रहना

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तुझसे गले लगकर जुदाई का सारा आलम बतलाना है
प्यार क्या होता है मैंने तुझसे बिछड़कर जाना है ™||

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मैने मनाया है इक सख्स को ऐसे जैसे की त्योहार मनाते है लोग ||
मगर छोड़ कर जाने वाले पलटले नही है बस झूठी उम्मीदे दिलाते हैं लोग ||

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प्रेम भरम में टूट रहा अचेत पड़ी है आस |
तेरी एक झलक से बुझेगी जाके मेरे तरसे नैनन की प्यास |•

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