दर्दे-ए-दिल का ग़म
ना मिल पाने का ग़म
तुम क्या जानो करोना बाबू
तुम तो हो बेरहम।
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Bedard Ko koi Dard nahi.
Fir bhi Dard hai, Ke Jo..
Humdard hai wo be-dard hai.-
दिल पे कोई जोर नहीं जनाब, ये उन्हीं का हो गया
जिसने दर्द बेशुमार दिए, इस बेरहम मोहब्बत में हमें-
खुद को ढूढता है
आलम ये की खुद से खुद का पता पूछता है
छुपाना चाहता दर्दे मोहब्बत
आँसुओं से भीगें रहते हरदम नयन
भीतर-भीतर सुलगता है मन
अजनबी हुआ मन-
दे गए मेरे दिल को उदासी शाम के ढलते साये
मुझको तेरे ग़म के बहाने कितने ग़म याद आये
भूली बातें याद दिलाये दिल कितना सौदाई है
जानेवाले लौट के आजा जान लबों पर आई है !-
दर्द दिल मे है पर इसका अहसास नही होता
रोता है दिल जब बो पास नही होता
बर्बाद हो गए हम उनके प्यार में
बो कहते है प्यार ऐसे नही होता-
उनके दर्द ए दिल की दवा क्या बने हम
कि हम खुद ही दर्द को सीने से लगाए बैठे हैं....
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राहते-जां क्या कहूं मैं दर्दे-दिल,
है बहुत मुश्किल सुनाना हाल-ए-दिल.!
मौत से भी ख़त्म ना हो राबता,
है अगर दिल में इरादा ऐसे मिल..!
सिद्धार्थ मिश्र-
मोहब्बत की बेवफाई कोई हमसे पुछो,
जख्म की गहराई कोई हमसे पुछो.....
दिल की रुसवाई कोई हमसे पुछो,
उसकी दगाई कोई हमसे पुछो..........
कसमो का धोखा कोई हमसे पुछो!
उसकी बेवफाई को हम भूला ना सकेगे,
प्यार के जख़्म को अब छिपा ना सकेगे,
दिल अब कही और लगा ना सकेगे,
इससे ज्यादा अब कुछ और बता ना सकेगे!
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हर तकिया छुपाएं होता है दर्दे दास्तान
तकियों में रुई भरी होती है या अश्के दास्तान !!!-